प्रदूषण और इसके खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. यह दिन भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वालों की स्मृति में मनाया जाता है.
साल 1984 में विनाशकारी भोपाल गैस त्रासदी की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 02 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. यह विनाशकारी दिन प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है. इसका मुख्य उद्देश्य मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में जन-जागृति फैलाना, जनता को पुरानी प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना और प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है. यहां हम इस दिवस विशेष के आवश्यक तथ्यों पर बात करेंगे. यह भी पढ़ें : Margashirsha Festival-Vrat List 2023: मार्गशीर्ष माह जब सतयुग की शुरुआत हुई थी? जानें इस माह पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार!
क्या थी भोपाल गैस त्रासदी की व्यथा?
2-3 दिसंबर, 1984 की रात भोपाल में घटित गैस त्रासदी दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक थी. भोपाल (भारत) में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड कीटनाशक संयंत्रों से घातक गैस रिसाव से हजारों लोग जो रात में चैन की नींद सो रहे थे, उन्हें सुबह का सूर्य देखना नसीब नहीं हुआ, और जो बच गए, वे आज 39 साल बाद भी स्वास्थ्य संबंधी यातनाओं को झेल रहे हैं. यह दिवस विशेष उन्हीं की स्मृति में मनाया जाता है, और लोगों को प्रदूषण मुक्त जीवन जीने के लिए मनाया जाता है.
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस का महत्व:
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने और जनता को शिक्षित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की स्मृति और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है. इसका प्रयोजन उद्योगों को उद्देश्यपरक प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने, नियामक उपायों को सुदृढ़ करने और प्रदूषण नियंत्रण गतिविधियों में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देना है. साथ ही व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और एक स्वच्छ एवं हरित दुनिया में योगदान देने के लिए प्रेरित करना है.
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के मुख्य फैक्ट!
भोपाल गैस काण्ड: भोपाल गैस त्रासदी औद्योगिक लापरवाही के विनाशकारी परिणामों और प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण उपायों की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है. यह दिवस पिछली आपदाओं से सीख लेने और भविष्य में इस तरह की किसी भी घटनाओं से बचने के लिए निवारक उपाय के महत्व पर प्रकाश डालता है.
वायु गुणवत्ता जागरूकता: भारत में वायु प्रदूषण के बारे में बढ़ती चिंताओं को देखते हुए, राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस वायु गुणवत्ता की निगरानी और सुधार के महत्व को उजागर करता है. वायु प्रदूषण की गंभीर समस्याओं के समाधान हेतु इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने, औद्योगिक उत्सर्जन को कम करने और हरित स्थानों को बढ़ाने जैसी पहलों पर चर्चा करने पर जोर डालती है.
जल एवं मृदा प्रदूषण: पर्यावरण की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए जल और मिट्टी प्रदूषण से संबंधित मुद्दों का समाधान करना महत्वपूर्ण है. जल निकायों और मिट्टी पर औद्योगिक एवं कृषि गतिविधियों के प्रभाव के साथ-साथ इन महत्वपूर्ण संसाधनों को संरक्षित करने की आवश्यकता पर चर्चा करती है.
प्रदूषण मुक्त जीवन में नागरिकों की भूमिका:
किसी भी तरह के प्रदूषण को कम करने के लिए देश के हर नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है. इसके अंतर्गत पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाना, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, स्थानीय पर्यावरणीय पहलुओं का समर्थन करना और प्रदूषण नियंत्रण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना हर नागरिक का दायित्व भी है और कर्तव्य भी.
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर कुछ फैक्ट
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस विश्व की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में एक भोपाल गैस कांड की स्मृति में मनाया जाता है. गौरतलब है कि 2 और 3 दिसंबर 1984 को घटित भोपाल गैस कांड में हजारों लोगों की मृत्यु हुई थी, और क्षेत्र विशेष के लोगों की सेहत पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ा. इस त्रासदी ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों को तत्काल प्रभाव में लाने पर प्रकाश डाला. इसके तहत भारतीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 अधिनियम पारित हुआ, जो प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों को लागू करने में व्यक्तियों, उद्योगों और सरकारों की भूमिका को दर्शाता है. इस दिवस पर स्वास्थ्य, वन्य जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रदूषण के प्रभाव के प्रति लोगों को जागृत करता है.