कोरोना वायरस एक घातक बीमारी है, ये सभी जानते हैं, लेकिन इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के अंदर एक जंग चलती है जिसे लड़कर जब वह स्वस्थ्य होकर वापस घर आता है तो उसके बाद भी उसे समाज से एक अनकही, अनदेखी जंग लड़नी पड़ रही है. दरअसल देश के कई हिस्सों में वायरस से ठीक होकर घर पहुंच रहे लोगों के साथ दुरव्यवहार के मामले सामने आ रहे हैं. जिसे लेकर सरकार भी काफी गंभीर है. सरकार के साथ ही तमाम डॉक्टरों और जनकारों का कहना है कि कोरोना वायरस कोई कलंक या धब्बा नहीं है. इस वायरस से दुनिया भर में लाखों लोग ठीक हो रहे हैं और दोबारा सामान्य जिंदगी जी रहे हैं.
कोरोना कोई असाध्य रोग और कलंक नहीं
इस मामाले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व महासचिव डॉ. नरेंद्र सैनी कहते हैं कि कुछ लोग इसे स्टिग्मा (stigma) यानी एक तरह से किसी असाध्य छूत की बीमारी की तरह देख रहें हैं. जो बुल्कुल भी सही नहीं है. सरकार बार-बार कह रही है कि समाज के लोग ऐसा न करें. क्योंकि जो ठीक हो चुका है उसे कोई परेशानी नहीं है और वह पूरी तरह स्वस्थ्य होकर आया है. जब लोग इसे स्टिग्मा बनाते हैं और मरीज को परेशान करते हैं तब समाज में दूरी आती है. इसी डर से कुछ लोग अपने लक्षण छुपाने लगते हैं. कोरोना को डर के रूप में नहीं लें. अगर किसी में लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. जिससे उसे समय पर इलाज मिल सके. अगर लोग ठीक हो चुके लोगों को परेशान करेंगे तो सभी साथ मिलकर कोरोना से जंग नहीं लड़ पाएंगे.
ठीक मरीजों में कोरोना के दोबारा होने की संभावना नहीं
कुछ लोग इस बात को लेकर भी असमंजस में हैं कि ठीक हो चुके मरीजों में दोबारा कोरोना वायरस होने की संभावना है या नहीं. जिस वजह से कई बार आस-पड़ोस के लोगों द्वारा घर वापस आये मरीजों को वहां से भगाने के मामले सामने आए. डॉ. सैनी की मानें तो कोरोना से ठीक हो चुके मरीज दोबारा संक्रमित होते हैं या नहीं इस पर अभी शोध चल रहा है.
डॉ. सैनी का कहना है कि वैसे किसी मरीज को दोबारा संक्रमण का मामला दुनिया में केवल दक्षिण कोरिया में आया है. लेकिन यह कहना मुश्किल है कि अभी वहां जिन मरीजों में दोबारा संक्रमण हुआ वो पूरी तरह से ठीक हुए थे या नहीं. हमारे देश में अभी ऐसा कोई मामला नहीं आया है. उसमें कोरोना वायरस फिर से होना संभव नहीं है. क्योंकि उसके अंदर वायरस से लड़ने की क्षमता आ चुकी है. लेकिन अगर कोई ठीक हो गया है, तो भी उसे बचाव के सभी उपाय करने हैं और लोगों को उनसे फिजिकल डिस्टेंस बनाना है न कि सोशल डिस्टेंस.
लॉकडाउन खुलने पर भी सभी दिशा-निर्देश का पालन जरूरी
इस बीच कई लोग लॉकडाउन खुलने पर वायरस का कितना प्रभाव रहेगा इसे लेकर भी चिंतित हैं. इस पर डॉ. सैनी का कहना है कि कोरोना वायरस एक दम से खत्म नहीं होगा, इस बात को समझना जरूरी है. ये वायरस नया है, नवंबर से पहले लोग इससे अंजान थे. इसलिए लॉकडाउन में लोगों को पहले वायरस को लेकर जागरूक किया गया. इसी दौरान वायरस से निपटने के लिए क्वारंटाइन सेंटर, अस्पताल, आदि सभी जरूरी तैयारियां की गईं. ये लॉकडाउन हमेशा नहीं रहेगा. इसलिए जब भी यह खुले और बाहर जाते हैं तो जितने भी दिशा-निर्देश अभी दिए गए हैं उनका पालन करना होगा. क्योंकि अभी कोरोना वायरस का संकट खत्म नहीं हुआ है. इसलिए सभी को मास्क लगाना, सुरक्षित दूरी बनाना, बाहर न थूकने, आदि का पालन करना होगा. अगर ऐसा नहीं करेंगे तो लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से सब कुछ बंद करने की स्थिति आ सकती है.