
8th Pay Commission Latest News: भारत में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन संरचना को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए वेतन आयोगों का गठन किया जाता है. वर्तमान में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हैं, लेकिन अब चर्चा शुरू हो गई है कि आठवां वेतन आयोग कब आएगा और इसके तहत क्या बदलाव किए जा सकते हैं.
आठवें वेतन आयोग की संभावनाएं
हालांकि सरकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा नहीं की है, लेकिन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच इसको लेकर उत्सुकता बनी हुई है. विभिन्न कर्मचारी संघों और विशेषज्ञों का मानना है कि 2024-25 में इस पर कोई निर्णय लिया जा सकता है, ताकि 2026 तक इसे लागू किया जा सके.
आठवें वेतन आयोग में संभावित बदलाव
मूल वेतन में वृद्धि
- सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया था.
- आठवें वेतन आयोग के तहत यह बढ़कर 26,000 से 30,000 रुपये तक हो सकता है.
फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि
- वर्तमान फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना है, जिससे वेतन में लगभग ढाई गुना बढ़ोतरी हुई थी.
- आठवें वेतन आयोग में यह 3.5 से 3.8 गुना तक किया जा सकता है.
महंगाई भत्ता (DA) में संशोधन
- सातवें वेतन आयोग के अनुसार, महंगाई भत्ता दो बार संशोधित किया जाता है.
- आगामी आयोग में महंगाई भत्ता की गणना के नए मानक निर्धारित किए जा सकते हैं.
पेंशन में सुधार
- पेंशनभोगियों की आयु और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पेंशन वृद्धि की संभावना है.
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर भी पुनर्विचार किया जा सकता है.
अन्य भत्तों में संशोधन
- मकान किराया भत्ता (HRA) में वृद्धि.
- यात्रा भत्ता और चिकित्सा भत्ता में संशोधन.
सरकार की स्थिति और वित्तीय असर
वेतन आयोगों के गठन और उनके लागू होने से सरकारी खजाने पर भारी वित्तीय दबाव पड़ता है. इसलिए केंद्र सरकार इस निर्णय को लेने से पहले आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करेगी. यदि आठवां वेतन आयोग लागू किया जाता है, तो इससे करोड़ों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा, लेकिन सरकारी व्यय में भी भारी वृद्धि होगी.
आठवें वेतन आयोग को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कर्मचारियों को इससे काफी उम्मीदें हैं. यदि इसे 2026 तक लागू किया जाता है, तो इससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा. आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह मुद्दा राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो सकता है.