7th Pay Commission: महंगाई भत्ता बढ़ने से केंद्रीय कर्मचारियों को मिला एक और फायदा, जानिए कैसे मिली डबल खुशखबरी
रुपया (Photo Credits: PTI)

7TH CPC Latest News: सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के अनुसार वेतन पाने वाले केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees) के महंगाई भत्ते (डीए) की दर आमतौर पर हर साल दो बार बढ़ाई जाती है. हालांकि इस साल डीए (Dearness Allowance) की दर सिर्फ एक बार बढ़ाई गई है, जबकि दिवाली से पहले यह फिर बढ़ाई जा सकती है. हालांकि 1 जुलाई से बढ़े हुए महंगाई भत्ते के साथ ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सातवीं सीपीसी के तहत संशोधित दरों के अनुसार ही मकान किराया भत्ता (एचआरए) भी मिल रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 1 जुलाई से उनके मूल वेतन का 28 फीसदी डीए के रूप में मिल रहा है. चूंकि डीए की दर 25 प्रतिशत से अधिक हो गई है, इसलिए एचआरए (House Rent Allowance) को संशोधित किया गया है.  7th Pay Commission: मोदी सरकार के वो 3 बड़े फैसले, जो बदलकर रख देगी केंद्रीय कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति.

इस नवीनतम वृद्धि से पहले 'X', 'Y' और 'Z' श्रेणी के शहरों में कार्यरत कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के तहत उनके मूल वेतन का क्रमश: 24 प्रतिशत, 16 प्रतिशत और 8 प्रतिशत एचआरए के रूप में मिलता था. अब X श्रेणी के शहरों में रहने वाले कर्मचारियों के लिए एचआरए मूल वेतन का 27 फीसदी होगा, इसी तरह Y श्रेणी के शहरों के लिए एचआरए मूल वेतन का 18 फीसदी और Z श्रेणी के शहरों के लिए एचआरए मूल वेतन का 9 फीसदी हो गया.

कई रिपोर्टों के अनुसार, एचआरए (HRA) दरों में संशोधन वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के एक आदेश के अनुरूप हुआ है. 7 जुलाई 2017 को जारी किये गए आदेश में कहा गया था कि जब महंगाई भत्ता 25 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, तो एचआरए को संशोधित किया जाएगा. 1 जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 28 प्रतिशत डीए के रूप में मिल रहा है. ऐसे में एचआरए दर खुद ही नियमानुसार संशोधित हुए.

इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सितंबर 2021 से बढ़ें हुए हाउस रेंट अलाउंस का फायदा मिलना शुरू हो गया है. जिस वजह से सैलरी में और बढ़ोतरी हुई है. दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी शहर की जनसंख्या 5 लाख से अधिक हो जाती है तो उसे Z श्रेणी से Y श्रेणी में अपग्रेड कर दिया जाता है. जबकि 50 लाख से अधिक आबादी वाले शहर X श्रेणी में आते हैं.