इंदौर शहर में 13 लाख टन पुराने कचरे को चार महीने में किया गया साफ

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में स्थानीय निकाय के मैराथन अभियान के चलते 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ के दिन भी आखिर बदल ही गए और महज चार महीने में 13 लाख टन अपशिष्ट के उस बदबूदार भण्डार से मुक्ति ही नहीं पा ली गई बल्कि अब उसकी जगह घना जंगल विकसित किया जा रहा है.

इंदौर शहर में 40 साल पुराने कचरे को साफ किया गया (Photo Credit- Twitter)

इंदौर: मशहूर कहावत है कि 12 साल में घूरे के दिन भी फिरते हैं. देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर (Indore) में स्थानीय निकाय के मैराथन (Marathon) अभियान के चलते 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ के दिन भी आखिर बदल ही गए और महज चार महीने में 13 लाख टन अपशिष्ट के उस बदबूदार भण्डार से मुक्ति ही नहीं पा ली गई बल्कि अब उसकी जगह घना जंगल विकसित किया जा रहा है. राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग में लगातार तीसरे साल अव्वल आने के लक्ष्य को पूरा करने में जुटे इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) के आयुक्त आशीष सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि शहर के बायपास रोड पर देवगुराड़िया क्षेत्र के करीब 150 एकड़ में फैले ट्रैंचिंग ग्राउंड में पिछले 40 साल से कचरा जमा किया जा रहा था.

साल-दर-साल बढ़ते-बढ़ते वहां करीब 13 लाख टन कचरा जमा हो गया और एक छोटे पहाड़ की शक्ल ले ली. उन्होंने बताया, "हमने देवगुराड़िया के ट्रैंचिंग ग्राउंड (Training Ground) से कचरे का यह पहाड़ हटाने के लिये पिछले साल अगस्त में बीड़ा उठाया था. इसके लिये 17 अर्थ मूविंग मशीनें किराये पर ली गयीं और आठ-आठ घंटों की दो पालियों में 150-150 मजदूरों की मदद से लगातार चार महीने अभियान चलाया गया."

सिंह ने बताया कि ट्रैंचिंग ग्राउंड में मशीनों की मदद से कचरे को फैलाकर पहले इसका रासायनिक विधि से उपचार किया गया, ताकि इसमें मौजूद हानिकारक तत्व नष्ट हो जायें. फिर अलग-अलग ढेर बनाकर इस कचरे के छांटा गया और प्लास्टिक (Plastic), गत्ता (Cardboard), चमड़ा (Leather), धातुओं (Metals) के टुकड़े आदि सामान कबाड़ियों को बेच दिया गया. आईएमसी आयुक्त ने बताया कि कचरे के 13 लाख टन के भण्डार से लगभग चार लाख टन प्लास्टिक निकला.

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सिंह ने बताया कि कचरे के भण्डार को हटाने का काम पिछले महीने पूरा लिया गया और इसमें करीब 10 करोड़ रुपये का खर्च आया है. उन्होंने बताया कि ट्रैंचिंग ग्राउंड में कचरे के पहाड़ के हटते ही लगभग 100 एकड़ जमीन खाली हो गयी है. इस जमीन को समतल कर 90 एकड़ क्षेत्र पर हजारों पौधे लगाये जा रहे हैं, ताकि यह जगह आने वाले सालों में घने जंगल में तब्दील हो सके. बाकी 10 एकड़ जगह पर बगीचे और बच्चों के खेलने के लिये सुविधाएं विकसित किये जाने की योजना है.

सिंह ने बताया, "हम इंदौर को बड़ी कचरा पेटियों से पहले ही मुक्त कर चुके हैं. अब हमने शहर में ट्रैंचिंग ग्राउंड की अवधारणा भी खत्म कर दी है." उन्होंने बताया कि देवगुराड़िया के ट्रैंचिंग ग्राउंड से कचरे का पहाड़ हटने से नजदीकी इलाकों में रहने वाले सैकड़ों परिवारों को दिन-रात उठने वाली बदबू और प्रदूषण से मुक्ति भी मिली है.

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