इंदौर: मौत के बाद भी उन 4 लोगों के भीतर जीवित रहेगी यह महिला, जिन्हें नई जिंदगी की सौगात देकर हुई इस दुनिया से विदा 
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

इंदौर:  मौत (Death) के बाद भी एक महिला उन चार लोगों के भीतर जीवित रहेगी, जिन्हें मरत-मरते वो नई जिंदगी की सौगात देकर इन दुनिया से विदा हो गई. दरअसल, दिमागी रूप से मृत घोषित 36 वर्षीय महिला के अंगदान (Organ Donation) से बुधवार को इंदौर (Indore) और मुंबई (Mumbai) के कुल चार जरूरतमंद मरीजों (Patients) को नयी जिंदगी मिलने की राह आसान हो गई. उसका हृदय (Heart), दोनों किडनी (Kidney), लीवर (Liver) और दोनों फेफड़े (Lungs) इन मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित किए गए.

इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के संयुक्त सचिव डॉ. संजय दीक्षित ने "पीटीआई-भाषा" को बताया कि शहर के जूना रिसाला इलाके में रहने वाली हर्षिता कौशल (36) 17 दिसंबर की रात अचानक बेहोश हो गयी थी. परिजनों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन लगातार इलाज के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और डॉक्टरों ने जांच के बाद मंगलवार को उसे दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया.

उन्होंने बताया कि हर्षिता के परिजनों ने खुद आगे आकर उसके अंगदान की इच्छा जताई. दिवंगत महिला के परिजनों का कहना है कि वह अपने जीवनकाल में अंगदान के समाचार पढ़कर उनसे कहती थी कि उसकी मौत के बाद उसके अंग भी दान कर दिये जाएं.

दीक्षित ने बताया कि युवती के मृत शरीर से निकाला गया लीवर और दो किडनी इंदौर के ही तीन जरूरतमंद मरीजों को प्रत्यारोपित की गयी हैं. अंगदान से मिला हृदय और फेफड़े हवाई मार्ग से मुंबई भेजे गए. वहां इन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती 27 वर्षीय युवती को प्रत्यारोपित किया गया. यह भी पढ़ें: देहरादून: IIT रुड़की के 5 प्रोफेसरों पर लगा महिलाओं से यौन उत्पीड़न का आरोप

उन्होंने बताया, "यह मध्यप्रदेश के मेडिकल इतिहास में पहली बार था, जब किसी मरीज के मृत्यु के बाद अंगदान से उसके फेफड़े हासिल किये गये और इन्हें हवाई मार्ग से किसी दूसरे शहर भेजकर अन्य मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कराया गया."

दीक्षित ने यह भी बताया कि युवती के मृत शरीर से निकाले गये अंगों को संबंधित मरीजों तक तेज गति से पहुंचाने के लिये दो स्थानीय अस्पतालों और हवाई अड्डे के बीच तीन ग्रीन कॉरिडोर बनाये गए. ग्रीन कॉरिडोर बनाने से तात्पर्य सड़कों पर यातायात को इस तरह व्यवस्थित करने से है कि अंगदान से मिले अंगों को एम्बुलेंस के जरिए कम से कम समय में जरूरतमंद मरीज तक पहुंचाया जा सके.