UN महासभा में दो डिबेट में शामिल होंगे पीएम मोदी, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने दी जानकारी
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने बताया कि इस साल ऐतिहासिक यूएन महासभा सत्र में दो डिबेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी 21 सितंबर से शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के उच्च-स्तरीय सेगमेंट के दो बहसों (Debates) में डिजिटल माध्यम से शामिल होंगे.
न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने बताया कि इस साल ऐतिहासिक यूएन महासभा सत्र में दो डिबेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी 21 सितंबर से शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के उच्च-स्तरीय सेगमेंट के दो बहसों (Debates) में डिजिटल माध्यम से शामिल होंगे.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, "इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा एक और तरीके से ऐतिहासिक होगी. जहां तक भारत का संबंध है, सोमवार को शुरू होने वाले उच्च स्तरीय खंडों में दो बहस में पीएम मोदी भी शामिल होंगे." उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत के प्रधानमंत्री यूएन डिबेट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे. ट्रंप संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में डिजिटल रूप से हिस्सा लेंगे: व्हाइट हाउस
उन्होंने बताया कि पीएम मोदी यूएनजीए (UNGA) में भारत की भागीदारी का मुख्य तौर पर जिक्र करने वाले है. जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर भी यूएनजीए की तर्ज पर होने वाली कुछ मंत्रिस्तरीय बैठकों में शामिल होंगे और अहम् मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे.
पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में हिस्सा लेने सभा कक्ष नहीं जाएंगे, बल्कि डिजिटल रूप से हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा अन्य वैश्विक नेताओं का भी सत्र को संबोधित करने का कार्यक्रम हैं और ये नेता अपने संबोधन के टेप संयुक्त राष्ट्र को सौंपेंगे.
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा का 75वां सत्र 15 सितंबर को शुरू हुआ. संयुक्त राष्ट्र के 75 साल के इतिहास में पहली बार विश्व नेता डिजिटल माध्यम से इस वार्षिक उच्च स्तरीय सत्र में मिलेंगे और मानवता के समक्ष मौजूद कुछ गंभीर खतरों पर चर्चा करेंगे जिनमें कोविड-19 महामारी और जलवायु संकट की वजह से सामाजिक-आर्थिक असर भी शामिल है.