रक्षा बजट और हथियारों की होड़! सेना से लेकर मिसाइल तक, जानें भारतीय सैन्य ताकत की वर्तमान स्थिति

India’s Military Power in 2025: भारत की सशस्त्र सेनाएँ विश्व की चौथी सबसे मजबूत मानी जाती हैं. 2025 तक तीनों शाखाओं (सेना, नौसेना, वायुसेना) में सक्रिय सैन्यकर्मी लगभग 1.47 मिलियन हैं. इनमें से भारतीय थलसेना में ~12.37 लाख सक्रिय (और 9.60 लाख रिजर्व) कर्मी हैं, वायुसेना में ~1.71 लाख सक्रिय (और 1.40 लाख रिजर्व) तथा नौसेना में ~1.42 लाख सदस्य हैंसीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय चुनौतियों के मद्देनज़र इन बलों का निरंतर आधुनिकीकरण किया जा रहा है. रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का जोर देते हुए स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है.

थलसेना: टैंकों और अन्य हथियारों की स्थिति

  • मुख्य युद्धक टैंक: कुल ~4,614 टैंक (मुख्यतः T-72, T-90, Arjun) हैं.

  • प्रमुख मॉडल: T-72 की संख्या लगभग 2,400 है, T-90 लगभग 1,200 हैं, और स्वदेशी अर्जुन Mk1 के ~100 टैंक सेवा में हैं.

  • आधुनिकीकरण: सेना बटालियनों में DTC-5 इंटीग्रेटेड सेंसर-शूटर सुइट, MRSI गतिमान गोला-बारूद जैसी तकनीकें जोड़ी जा रही हैं. Heavy Vehicles Factory (HVF) ने 2023 में 464 नए T-90 Bhishma Mk-3 टैंकों का ऑर्डर भी लिया, जिन्हें 2027–28 तक प्राप्त किया जाएगा.

  • भारत निर्मित Arjun लड़ाकू टैंक (मानवत: कोलकाता स्थित प्रदर्शन) भारत की स्वदेशी बख्तरबंद क्षमताओं का प्रतीक है.

थलसेना की आधुनिक राइफ़लों में पुराने INSAS को बदलने की दिशा में कदम बढ़े हैं. Indo-Russian Rifles Pvt. Ltd. की सुविधा से AK-203 (7.62×39mm) राइफलों का उत्पादन जारी है. 2025-26 में 70,000 AK-203 टुकड़े आयात/निर्मित हुए और 2026 तक कुल 1,70,000 इकाइयां पहुंच जाएंगी,  जिससे बूढ़े INSAS राइफलों की जगह एकजुट मशीनगन और बख्तरबंद टुकड़ियों को नव-स्तरीय आग्नेय शक्ति मिलेगी. हल्के मशीनगन के रूप में इजरायली Negev (7.62mm) की ~16,000 यूनिट की तैनाती हुई है. तोपखाने में 155mm हॉवित्जरों की भूमिका है: बर्फोर्स FH-77 (लगभग 400 तोपें), स्वदेशी Dhanush (114 तोपें ऑर्डर, 24 डिलीवरी हो चुकी हैं, मार्च 2026 तक सभी डिलीवरी की उम्मीद) और M777 (145 हल्की तोप) शामिल हैं. स्वयं-चालित तोपखाने के रूप में K9 Vajra-T के 200 हवाई प्रक्षेप (SPG) तैनात हैं (पहला बैच 100, दूसरा बैच 2025 में ऑर्डर हुआ). इनके अलावा सरहदों पर हल्की तोपें (105mm Light Field Gun) और 120mm मोर्टार तैनात हैं.

रक्षा विश्लेषकों की टिप्पणी: पूर्व रक्षा सलाहकार अमित कौशिश ने बताया कि भारत के रक्षा बजट का अधिकांश हिस्सा मानव संसाधनों (वेतन-पेंशन) पर खर्च होता है, जिससे उपकरणों के आधुनिकीकरण के लिए राशि सीमित हो जाती है। JNU के लक्समन बेहरा कहते हैं कि पूंजीगत व्यय में मामूली वृद्धि ही हुई है, इसलिए आधुनिक हथियार सौदों की प्रक्रिया धीमी बनेगी. उनका सुझाव है कि सौदे ‘मेज पर’ होने चाहिए ताकि आधुनिक उपकरण समय पर मिल सकें.

वायुसेना: लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर

भारतीय वायुसेना के पास कुल मिलाकर लगभग 1,926 विमान हैं, (जिनमें लड़ाकू विमान, परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर शामिल हैं). प्रमुख लड़ाकू विमानों की संख्या इस प्रकार है:

  • Su-30MKI: ~259 विमान (मुंबई के HAL फ़ैक्ट्री में लाइसेंस-निर्माण)

  • Dassault Rafale: 36 विमान (IAF में दो राफेल स्क्वाड्रन सक्रिय)

  • SEPECAT Jaguar: कुल ~113 विमान (78 IS आक्रामक, 27 IB प्रशिक्षण और 8 IM समुद्री हमले के लिए)

  • Mirage 2000: 46 विमान (36 हथियारविहीन + 10 प्रशिक्षक)

  • MiG-29 UPG: ~59 विमान (52 अपग्रेडेड + 7 पुराने)

  • MiG-21 Bison: ~40 विमान (अवसर पर, सेवानिवृत्ति की ओर)

  • HAL तेजस Mk1: 31 विमान (हल्के मल्टीरोल, Mk1A के 73 और Mk1 Trainer के 4 निर्माणाधीन)

युद्ध के अलावा, वायुसेना में व्यापक परिवहन क्षमता भी है (C-17, C-130J, IL-76, IL-78 इत्यादि) और अग्रिम चेतावनी जहाज (AWACS) जैसे Netra. हाल के ठोस कदमों में बद्ध लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Tejas Mk1A/Mark-2 का विकास तथा भविष्य में AMCA (5वीं पीढ़ी) की योजना शामिल हैं.

Sukhoi Su-30MKI (फ्लैंकर-H) भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी है; यह 300 किमी/घंटा से अधिक की मारक क्षमता के साथ मिसाइल, बम एवं गन नियंत्रित हथियार ढो सकता है.

हेलीकॉप्टर बेड़े: भारत दुनिया में चौथे सबसे बड़े सैन्य हेलीकॉप्टर बेड़े वाला देश है. मुख्य हेलीकॉप्टरों की स्थिति:

  • AH-64E Apache: 22 इकाइयां वायुसेना में तैनात, और थलसेना के लिए अतिरिक्त 6 आर्डर में हैं.

  • CH-47F Chinook: 15 भारी परिवहन हेलीकॉप्टर प्राप्त हैं. (माउंटेनियर ऑपरेशन के लिए).

  • Mil Mi-17V5: 222 माध्यमिक ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर (वायुसेना एवं थलसेना में) हैं.

  • HAL Dhruv (ALH): लगभग 95 हल्के हेलीकॉप्टर हैं, जिसे एआरएमएस (रक्षा तैनाती) और सीकिंग चेसिस के रूप में इस्तमाल किया जाता है.

  • HAL Rudra (ALH-WSI): भारतीय निर्मित पैंतरेबाज़ हेलीकॉप्टर है; थलसेना में 58 तथा वायुसेना में 12 यूनिट्स डिलीवर हो चुके हैं.

  • Light Combat Helicopter (LCH) Prachand: 5 प्रोटोटाइप तैनात हैं, और 90 अधिक के आदेश हैं.

  • Mi-24/35 Hind: पुराने रूसी हमला हेलीकॉप्टर, ~15 यूनिट्स बची हैं.

इनके अतिरिक्त सीमा निगरानी और वार्षिक परेड में लोकपाल उपयोग के लिए हल्के हेलीकॉप्टर (Chetak/Cheetah) और भारी लिफ्ट Mi-26 (2 यूनिट्स) सेवित हैं. आधुनिककरण में बला-मुहर्रा एनजीएपी (Night Vision), EL/L-8222 द्रुत प्रतिक्रिया रडार और उन्नत हेलिकॉप्टर-प्रक्षेप योग्य मिसाइलें शामिल हैं.

मिसाइल प्रणाली

भारत ने रेंज और क्षमताओं के आधार पर विभिन्न मिसाइल प्रणालियां विकसित की हैं:

  • Agni बैलिस्टिक मिसाइल: Agni-I (700 किमी), Agni-II (~2,000 किमी), Agni-III (~3,200 किमी), Agni-IV (~3,500 किमी) पहले ही परिचालित हैं. लगभग 16 Agni-III लॉन्चर तैनात किए गए माने जाते हैं. Agni-V (~5,000 किमी) की सीरियल उत्पादन शुरू हो चुकी है और इसे जल्द ही सेवा में लाया जा रहा है.ये मिसाइलें भारत के परमाणु निरोधक बल की रीढ़ हैं.

  • Prithvi सीरीज़: यह शॉर्ट/मेडियम-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें हैं (400 किमी से कम)। Prithvi-I/II का सफलतापूर्वक परीक्षण हो चुका है, और निरोधक इकाइयों में तैनात हैं.

  • BrahMos: रूसी-जॉइंट विकास वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है (200 किमी+ मारक सीमा). लैंड, शिप और एयर-लॉच वर्ज़न तैनात हैं; Su-30MKI में एयर-लॉन्चर सेटअप स्थापित है. अप्रैल 2024 में नौसेना ने 800 किमी मारक सीमा वाली BrahMos-ER के 220 बैल्स का आर्डर दिया. जल्द ही BrahMos-II (हाइपरसोनिक वर्ज़न) भी टेस्टिंग में है.

  • Akash SAM: मध्यम दूरी की सतह-से-हवा रक्षा मिसाइल. भारतीय वायुसेना ने इसे चुनकर 1,000 मिसाइलों का आर्डर दिया है और थलसेना के लिए 2,000 मिसाइलें निर्धारित की गई हैं. Akash Mk-I/II तैनात हैं और Akash-NG का विकास जारी है.

  • नग, शौर्य, अन्य: नाग (टैंक-विरोधी क्रूज) और शौर्य (उप-पनडुब्बी बैलिस्टिक) सहित कई नई मिसाइलें विकासाधीन हैं.

इन सभी प्रणालियों के चलते भारत के पास परमाणु त्रिकोण (बमबर + बैलिस्टिक + एसएलबीएम) की क्षमताएं हैं.रणनीतिक बल कमान के अनुमान के अनुसार भारत के पास करीब 170 परमाणु वारहेड्स बनाने के लिए पर्याप्त हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम है.

नौसेना: जहाज, पनडुब्बी और विमानवाहक

भारतीय नौसेना में कुल 294 युद्धपोत हैं. इनमें शामिल हैं:

  • एयरक्राफ्ट कैरियर: 2 (INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत)

  • ऐम्फिबियस एवं लैंडिंग शिप: INS जलाश्व (LPD) सहित 1 LPD एवं 9 लैंडिंग शिप टैंकों (LSTs)

  • विध्वंसक: 12 (Project 15A/15B श्रेणी – कोलकाता, विशाखापत्तनम क्लास)

  • फ्रिगेट: 12 (Project 17A श्रेणी – शैलिंग, हिंदुस्तान क्लास)

  • पनडुब्बियां: 1 परमाणु-संचालित हमला पनडुब्बी (INS चक्र श्रेणी की Akula क्लास) और 17 पारंपरिक पनडुब्बियाँ (जैसे कालवैली/Scorpene श्रेणी)

  • करवेट: 18 (Kamorta, Kora क्लास आदि)

  • माइन काउंटरमेशर: 6 यूनिटें

  • फ्लीट टैंकर: 4

  • तटरक्षक और छोटे बचाव जहाज: 137 (कौमोत्यो क्लास आदि)

इसके अलावा INS अरीहंत श्रेणी की परमाणु मिसाइल वाहक पनडुब्बियां (SSBN) भी परिचालन में हैं. नौसेना के जहाजों को एमआरसीए/एमके54 टॉरपीडो, समंदर की निगरानी रडार, लंबी दूरी की सतह की मार के लिए Barak-8 SAM और LR-SAM से लैस किया गया है. हाल ही में भारत ने फ्रांस से 26 Rafale-M (कैटापॉल्ट लॉन्च जहाज विमान) का सौदा किया है, जिन्हें INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. सुदूर समुद्री क्षेत्रों में चौबीसों घंटे सतर्कता के लिए P-8I पनडुब्बी रोधक विमान और Dornier 228 तट पर निगरानी रखता है.

व्यक्तिगत हथियार और तोपखाना

सैनिकों के निजी हथियारों में निम्न शामिल हैं

  • राइफलें: AK-203 (7.62mm) – 2024-25 में 70,000 आग्नेयास्त्र, 2026 तक 170,000 तक वितरण. Sig Sauer 716i (DMR) और 5.56mm INSAS-2.0 भी क्रमश: मार्क्समैन राइफलों के रूप में प्रयोग में हैं. Glock-17 व Glock-26 जैसी 9mm पिस्तौलें सर्विस राइफलों के साथ आम हैं.

  • मशीनगन: तत्कालीन INSAS LMG की जगह इजरायल के IWI Negev (NG-7, 7.62×51mm) को अपनाया गया है (16,479 यूनिट ऑर्डर. भारी मशीनगनों में 12.7mm NSV/KPV और 7.62mm FN MAG जैसी गनें हैं.

  • तोपखाना: तोपखाने में मुख्यतः 155mm कैलिबर की हॉवित्ज़र शामिल हैं – Bofors FH77 तोप (~400), स्वदेशी Dhanush (~24 तैनात, कुल 114 ऑर्डर), M777 Ultra-Light (~145) आदि. स्वयं-चालित तोपखानों में K9 Vajra-T (155mm/52 कैलिबर) के 200 हवलदार हैं. (पहले 100 का बैच डिलीवर, अतिरिक्त 100 का नया आर्डर). हल्की तोपखाने के लिए 105mm Indian Field Gun और 120mm मोर्टार तैनात हैं. आधुनिक दिशा-निर्देशन हेतु वेबफाइंडर रडार, GPS-निर्देशित प्रोजेक्टाइल और लंबी दूरी की गोली-बारूद प्रौद्योगिकियां लागू की जा रही हैं.

रक्षा बजट एवं सौदे

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रस्तावित रक्षा बजट ₹6.81 लाख करोड़ (~$78.7 बिलियन) है, जो पिछली साल की तुलना में 9.5% अधिक हैइसमें से लगभग ₹4.70 लाख करोड़ मानव संसाधन (वेतन-पेंशन) पर और ₹1.80 लाख करोड़ उपकरणों के आधुनिकीकरण पर खर्च किए जाएंगे. रक्षा मंत्रालय के पूर्व वित्तीय सलाहकार अमित कौशिश का कहना है कि 'पेंशन और वेतन मिलाकर बजट का बड़ा हिस्सा ले जाते हैं', जिससे नई खरीद पर दबाव बढ़ रहा है। JNU के लक्समन बेहरा भी बताते हैं कि सीमित पूंजीगत व्यय के कारण आधुनिक हथियार सौदों की गति धीमी बनी रहेगी.

हाल के बड़े रक्षा सौदों में शामिल हैं: Dassault से 36+26 Rafale, संयुक्त-पस्तरित लड़ाकू विमानों की खरीद; Boeing से 22 AH-64E Apache और 15 CH-47F Chinook हेलीकॉप्टर; स्वदेशी तेजस Mk1A (73 ऑर्डर) तथा प्रोजेक्ट 75I (विकासाधीन पनडुब्बी) जैसी परियोजनाएं. रक्षा उत्पादन में L&T-सराकर संयुक्त उद्यम के तहत 100 K9 Vajra तोपों की पहली खेप डिलीवर हुई थी, और अप्रैल 2025 में अतिरिक्त 100 की नयी खरीद का करार हुआ (जिससे कुल संख्या 200 हुई). इसी तरह कई रक्षा उत्पादक PSUs (DRDO, HAL, BDL) स्थानीय निर्माण बढ़ाकर आयात घटाने पर काम कर रहे हैं.

सीमा तनाव में सैन्य तैयारी

हाल के जम्मू-कश्मीर आतंकी हमलों के बाद भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने भारतीय हमले की आशंका जताई और अपनी सीमाओं पर बल बढ़ाए जाने की बात कही हैइन घटनाओं के बीच, भारत ने एलओसी और लद्दाख सेक्टर पर अपनी सतर्कता बढ़ा दी है. थलसेना और वायुसेना दोनों ने अतिरिक्त टोही और पैंतरेबाज़ी तोपें सीमाओं पर तैनात की हैं. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह तनाव दिवस-सर गतिविधियों में सुरक्षा उपायों को सख्त करने और सीमांत अभ्यासों को तेज करने का कारण बना है.

भारत, पाकिस्तान तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है. उदाहरणतः भारत ने निकट भविष्य में Quad एवं AUKUS देशों से सुरक्षा कड़ी करने पर जोर दिया है, जबकि स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी (INS Arihant) और द्वीपतलीय रडार नेटवर्क जैसे परियोजनाओं को गति दी है. विशेषज्ञ चेताते हैं कि मौजूदा रक्षा बजट में केवल मामूली बढ़ोतरी और क्रय-प्रक्रियाओं में विलंब के कारण पूर्ण युद्ध-तैयारी की रफ्तार सीमित हो सकती है.

2025 तक भारत की सेना, वायुसेना और नौसेना ने अपने संसाधनों में वृधि की है और नए हथियार तैनात किए हैं. पाकिस्तान के साथ जारी तनाव ने भारत को तैयार रहने के लिए प्रेरित किया है, लेकिन दशकों पुराने हथियारों को बदलने और स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने की चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं.

स्रोत: उपरोक्त सभी आंकड़े और ब्योरे भरोसेमंद स्रोतों (रक्षा विशेषज्ञ रिपोर्ट, समाचार एजेंसियां, आधिकारिक घोषणाएं) पर आधारित हैं.

sundayguardianlive.com

english.mathrubhumi.com

thedefensepost.com

dassault-aviation.com

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