Indian Railways closes Dak Messengers: भारतीय रेलवे ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इस पद को किया खत्म, जानें इसपर कितना होता था खर्च
भारतीय रेलवे (Photo Credit: PTI)

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस महामारी के दिन प्रतिदिन बढ़ते प्रकोप से देश की आर्थिक व्यवस्था बिलकुल चरमरा गई है. इसका असर भारतीय रेलवे (Indian Railways) पर भी नजर आ रहा है. रेलवे ने अपने खर्चों में कटौती के लिए अधिकारियों से कहा है कि वह 'पर्सनल और डाक मैसेंजर' के तहत आने वाले संदेशवाहकों का इस्तेमाल बंद कर दें. बता दें कि देश में निजी और डाक संदेशवाहकों की यह परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी. रेलवे ने संदेशवाहकों के बजाय अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपस में बातचीत करने की सलाह दी है.

बता दें कि भारतीय रेलवे में अबतक एक जोन से दूसरे जोन तक डाक मैसेंजर के जरिये गोपनीय दस्तावेज पहुंचाए जाते थे. इस काम को डाक मैसेंजर के द्वारा पूरा किया जाता था, जिन्हें संवेदनशील दस्तावेजों को रेलवे बोर्ड से विभिन्न विभागों, जोनों और डिवीजनों को पहुंचाने की जिम्मेदारी दी जाती थी.

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गौरतलब हो कि देश में कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बाद से रेल सेवाएं बुरी तरह बाधित हुई हैं. मई माह में रेलवे का राजस्व घटकर 58 फीसदी पर आ गया था. रेलवे ने खर्चों में कटौती के लिए वर्तमान में नए पदों की भर्ती पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है. इसके अलावा रेलवे ने बिजली खपत कम करने और दूसरे खर्चों पर भी लगाम लगाने के लिए कहा है. यही नहीं रेलवे द्वारा घाटे में चल रहे विभागों को भी बंद करने के लिए कहा गया है.

बता दें कि भारतीय रेलवे एक डाक संदेशवाहक को एक दिन का 500 रूपये देती है. इसके अलावा एक निजी संदेशवाहक को उसके काम के लिए 800 रूपये दिया जाता है. इसके अलावा यात्रा के लिए इन्हें ट्रेन में 3एसी का टिकट भी दिया जाता था. भारतीय रेलवे में करीब पांच हजार संदेशवाहक और करीब इतने ही निजी संदेशवाहक हैं. बताया जा रहा है कि इन संदेशवाहकों और निजी संदेशवाहकों पर रेलवे करीब 10 करोड़ रुपए सालाना व्यय करती है.