
Ayurveda Day: भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि अब हर साल 23 सितंबर को ‘आयुर्वेद दिवस’ (Ayurveda Day) के रूप में मनाया जाएगा. यह फैसला महर्षि चरक की जयंती को सम्मान देने और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से लिया गया है. पहले यह दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता था, लेकिन वह तारीख हर साल बदलती रहती थी, जिससे एक निश्चित आयोजन में बाधा आती थी.
23 सितंबर को चुनने के पीछे दो बड़े कारण हैं. पहला यह दिन महर्षि चरक की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता के रचयिता हैं. दूसरा कारण यह है कि यह दिन विषुव (Autumnal Equinox) भी होता है, यानी वह समय जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं. यह घटना आयुर्वेद की उस मूल भावना को दर्शाती है जिसमें शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को सर्वोपरि माना गया है.
धनतेरस से हटाकर एक स्थायी तारीख पर शिफ्ट
धनतेरस का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल बदलता है और अक्टूबर से नवंबर के बीच आता है. इस बदलाव की वजह से आयुर्वेद दिवस का आयोजन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठिन हो जाता था. इसी चुनौती को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने एक समिति बनाई, जिसने 4 विकल्पों में से 23 सितंबर को सबसे उपयुक्त पाया.
हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस
The Government of India has officially declared that September 23 will be observed every year as ‘Ayurveda Day’ pic.twitter.com/IWAOh0N6PA
— IANS (@ians_india) May 13, 2025
गैजेट अधिसूचना से मिली औपचारिक मान्यता
यह निर्णय 23 मार्च 2025 को जारी गैज़ेट अधिसूचना के माध्यम से आधिकारिक रूप से मान्य किया गया है. अब यह दिन हर साल एक स्थिर तारीख पर मनाया जा सकेगा, जिससे न केवल सरकारी कार्यक्रमों में सहूलियत होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को प्रचारित करने में भी मदद मिलेगी.
आयुर्वेद को वैज्ञानिक और समग्र चिकित्सा प्रणाली के रूप में पहचान
आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य इस प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को वैज्ञानिक, प्रमाण आधारित और समग्र चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्थापित करना है. यह न केवल इलाज की विधि है, बल्कि रोगों की रोकथाम और समग्र स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली है.