
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे सीनेट बिल को हरी झंडी दे दी है जो रूस से व्यापार करने वाले देशों विशेष रूप से भारत और चीन पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने की अनुमति देगा. इस बिल को रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेट सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल मिलकर पेश कर रहे हैं. ग्राहम ने कहा कि अगर कोई देश रूस से सामान खरीदता है और यूक्रेन की मदद नहीं करता, तो उनके उत्पादों पर अमेरिका में 500 फीसदी आयात शुल्क लगाया जा सकता है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने इस बिल को एक गोल्फ मैच के दौरान समर्थन देने की बात कही. उन्होंने ग्राहम से कहा, “अब वक्त आ गया है कि तुम अपने बिल को आगे बढ़ाओ.” इससे संकेत मिलता है कि आने वाले महीनों में ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी रूस से जुड़े व्यापारिक संबंधों को लेकर सख्त रुख अपना सकती है.
भारत और चीन पर असर क्यों होगा?
भारत और चीन दोनों मिलकर पुतिन की तेल बिक्री का 70 फीसदी हिस्सा खरीदते हैं. भारत-रूस के बीच 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो महामारी से पहले के 10.1 अरब डॉलर से कई गुना अधिक है. भारत ने रूस से तेल, खाद और अन्य जरूरी वस्तुएं बड़ी मात्रा में आयात की हैं. दोनों देशों ने 2030 तक 100 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य तय किया है.
अगर यह नया अमेरिकी कानून लागू होता है, तो भारत के लिए अमेरिकी बाजार में व्यापार करना बेहद महंगा हो सकता है. इसका असर भारतीय निर्यात, तेल आपूर्ति श्रृंखला और अमेरिकी निवेश पर पड़ सकता है.
बिल में अब भी बदलाव की संभावना
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने पहले ग्राहम से कहा था कि बिल में “shall” (अर्थात अनिवार्य) जैसे शब्दों को “may” (वैकल्पिक) जैसे शब्दों से बदला जाए ताकि इसे ज़्यादा लचीला बनाया जा सके. इससे साफ है कि ट्रंप पूरी तरह से हर परिस्थिति में टैरिफ लगाने के पक्ष में नहीं हैं. लेकिन रूस से व्यापार को लेकर अमेरिका का सख्त रुख जरूर दिखाई दे रहा है.
भारत के सामने क्या चुनौतियां?
ऊर्जा सुरक्षा संकट: अगर रूस से तेल खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंध लगता है, तो भारत को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करनी पड़ेगी, जिससे लागत बढ़ सकती है.
निर्यात पर असर: भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर अगर 500% टैरिफ लगाया गया, तो उत्पाद महंगे हो जाएंगे और अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी.
राजनयिक दबाव: अमेरिका-भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी पर भी असर पड़ सकता है, खासकर जब भारत रूस के साथ अपने संबंध गहरा कर रहा है.
यह बिल अगस्त 2025 में सीनेट में पेश किया जा सकता है. इसमें पहले से ही 84 सीनेटरों का समर्थन बताया जा रहा है. अगर यह कानून बनता है, तो यह भारत, चीन और अन्य देशों के लिए बड़ी चुनौती होगा जो रूस से व्यापार कर रहे हैं.