शिमला, 25 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने 2015 और 2018 के बीच शिमला वन परिक्षेत्र में 416 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए दो वन संरक्षक सहित 16 वन अधिकारियों पर 34 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने इन अधिकारियों को 27 मई को अदालत में उपस्थित होने का अवसर देते हुए कहा कि यह कर्मी उपरोक्त वसूली और उनके सेवा रिकॉर्ड में उल्लेखित चूक की प्रविष्टि करने से पहले अपनी बात अदालत के समक्ष रख सकते हैं. अदालत ने माना कि जो अधिकारी 100 साल पुराने पेड़ों के इस नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें दंडित करना ही होगा. मुख्य न्यायाधीश एल. नारायण स्वामी (L. Narayana Swamy) और न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने कोटी के जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई करने के बाद यह आदेश पारित किए.
पेड़ों की अवैध कटाई पर इसके निर्देशों का पालन न करने पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने इससे पहले प्रधान सचिव (वन) और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को 20 अप्रैल को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था. पिछली सुनवाई में, पीठ ने 16 अधिकारियों से 34,68,233 रुपये की वसूली के लिए प्रधान सचिव को निर्देश दिया था, जिसमें दो वन संरक्षक (अरण्यपाल), दो प्रभागीय वन अधिकारी, तीन सहायक वन संरक्षक, दो रेंज वन अधिकारी, छह ब्लॉक अधिकारी शामिल एक वन रक्षक (गार्ड) शामिल हैं. इस मामले में नियुक्त एमिक्स क्यूरी द्वारा अदालत को बताया कि अधिकारियों का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वह अपने अधीन आने वाले क्षेत्र का निरीक्षण करें और पेड़ों की किसी भी कटाई का पता लगाएं. यह भी पढ़ें :Madhya Pradesh: भोपाल में COVID रोगियों के लिए 20 आइसोलेशन रेलवे कोच स्थापित किए गए
उन्होंने बताया कि विभाग ने उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय केवल उन अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जो रैंक में सबसे कम हैं. केवल छोटे वन कर्मियों को ही निशाना बनाया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जो अधिकारी 100 साल पुराने पेड़ों के इस नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें दंडित करना होगा. पेड़ों की इस तरह की अवैध कटाई की भरपाई किसी भी तरीके से नहीं की जा सकती है. मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को होगी.