औरंगाबाद/मुंबई, 28 दिसंबर : हाल के वर्षों में सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों में एक आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामला (ICICI Bank Fraud Case) इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहा है. इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इसी हफ्ते वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमुख व पूर्व-फोर्ब्स लिस्टर वेणुगोपाल एन. धूत (Ex-Forbes lister Venugopal N. Dhoot) को गिरफ्तार किया. उन पर आरोप है कि उन्होंने बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके कारोबारी पति दीपक कोचर के साथ मिलीभगत से इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया था. औरंगाबाद में एक छोटे से स्तर पर शुरु हुर्ए वीडियोकॉन के पतन का कारण लगातार मिल रही सफलताएं, कुछ सही व्यावसायिक निर्णय, तेजी से पैसा, महत्वाकांक्षा और लालच बना. नतीजा चार दशकों से भी कम समय में ग्रुप तबाह हो गया.
वेणुगोपाल एन. धूत कृषण परिवार से थे. साथ ही उनके पास एक भारतीय स्कूटर डीलरशिप भी थी, फिर उनके पिता ने 1984 में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड की शुरूआत की. टेलीविजन, वाशिंग मशीन और अन्य घरेलू उपकरणों के चलते वीडियोकॉन भारतीय मध्यवर्ग लोगों के बीच काफी तेजी से लोकप्रिय हो गया. इस बिजनेस में नंदलाल माधवलाल धूत के बेटों वेणु गोपाल, राज कुमार और प्रदीप कुमार भी मदद करने लगे? उस समय, वेणुगोपाल एक इंजीनियर थे. जिन्होंने एक वर्ष के लिए जापान में ट्रेनिंग ली थी. उन्होंने उम्मीदों से कही अधिक लक्ष्य हासिल किए. उन्होंने रणनीतिक गठजोड़, प्रमुख सहयोग, आकर्षक अधिग्रहण या लाभदायक विलय के बारे में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त किया. भारतीय और विदेशी कंपनियों ने वीडियोकॉन ग्रुप के साथ कई डील की और निवेश किया. यह भी पढ़ें : Second Hand Car बेचना-खरीदना होगा और आसन, चीटिंग होगी कम, मोदी सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए जारी की गई अधिसूचना
इनमें संस्थापक वीडियोकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (वीआईएल 1986) और तोशिबा, फिलिप्स, थॉम्पसन, देवू और केल्विनेटर जैसे दिग्गजों के साथ व्यापारिक सौदे शामिल है, जिसने कंपनी को कुछ 'भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों' में से एक बना दिया. मामले से वाकिफ लोगों का कहना है कि 1990 के दशक के बाद से जैसे-जैसे ग्रुप आगे बढ़ता गया, उन्होंने कई छोटे प्लेयर्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया. 2000 के दशक के मध्य तक सब कुछ ठीक-ठाक लग रहा था. एक पूर्व-व्यावसायिक सहयोगी ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा, वेणुगोपाल ने महसूस किया कि वह दुनिया के टॉप पर थे और कुछ भी उन्हें प्रभावित नहीं कर सकता था. उन्होंने खुद को एक बिजनेस बैरन से एक इंडस्ट्रियल टाइकून में बदल दिया. उन्होंने पेट्रोलियम, टेलीकॉम और सैटेलाइट मनोरंजन प्रसारण जैसे कदम उठाए.
बिजनेस का अधिक विस्तार होने से वह धीरे-धीरे बैंकों से लोन लेते गए, जो बैंकिंग क्षेत्र के लिए अधिक खतरनाक माना जाता है. धूत बैंकों के प्रबंधन की कला में निपुण थे. उनके टॉप बैंकरों के साथ अच्छे संबंध थे. जिसके चलते उन्हें आसानी से लोन मिल जाता था. उनके ऊपर 70,000 करोड़ रुपये का बैंक लोन था. सहयोगी ने कहा, इन ऋणों का उद्देश्य वीडियोकॉन ग्रुप के अन्य वर्जिन वेंचर्स को फाइनेंस करना था, जो लंबे समय में खतरनाक साबित हुए. कंपनी ने फंड पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते कंपनी एक बड़ी मुसीबत में फंस गई.
एक शीर्ष वैश्विक निर्यात निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑगेर्नाइजेशन (एफआईईओ) के एक पूर्व अध्यक्ष का मानना है कि धूत के कुछ कदम 'रोमांच' या 'जुआ' की तरह थे, इस उम्मीद के साथ कि ग्रुप की मजबूत इमेज उसे तूफानों से पार पाने में मदद करेगी, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा नहीं हुआ. पूर्व शीर्ष अधिकारी ने कहा, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पिछले कुछ दशकों में, भारतीय कानून, बैंकिंग नियम, विनियम, संहिताओं या मानदंडों और अदालतों के रवैये में भारी बदलाव आया है. अब, सिस्टम पर सब कुछ दिखाई दे रहा है, इच्छुक बैंकरों से आंतरिक हेरफेर या चालाक राजनेताओं द्वारा पिछले दरवाजे से बाहर निकलने की कोई गुंजाइश नहीं है.
वीडियोकॉन ग्रुप के टूटने के पहले संकेत तब मिले जब यह पेट्रोलियम और गैस, टेलीकॉम, रियल्टी, और डीटीएच जैसे नए क्षेत्रों में विफल हो गया, जहां चीजें धूत की कल्पना या नियंत्रण से परे हो गईं. डूबते जहाज का फायदा उठाते हुए, दुनिया के अन्य बड़े शार्क ने कम कीमतों के साथ तेजी से प्रवेश किया, जिसने वीडियोकॉन को लगभग खत्म कर दिया और इसके पास बैंकों की भारी देनदारियां रह गईं. इस बीच आईसीआईसीआई बैंक से एक और लोन का खुलासा हुआ, जिसने कई सवाल खड़े किए. अंतत: इसकी पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक सीबीआई सेल के पीछे पहुंच गए.