नई दिल्ली, 6 जनवरी : अधिकांश भारतीय विभिन्न राज्यों में कोविड से होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़ों से सहमत नहीं हैं. आईएएनएस-सीवोटर ओमिक्रॉन स्नैप पोल में सामने आए निष्कर्षों से यह जानकारी मिली है. स्नैप पोल में कुल 1,942 लोगों ने हिस्सा लिया. सर्वेक्षण में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि छह महीने बीत जाने के बाद दूसरी लहर के दौरान हुई मौतों की वास्तविक संख्या के बारे में भारतीयों की क्या सोच थी. इसके परिणाम दिलचस्प रहे. सर्वे में शामिल केवल 23.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि मरने वाले भारतीयों की संख्या आधिकारिक अनुमान से कम थी और केवल 16 प्रतिशत से कुछ अधिक लोगों ने कहा कि आधिकारिक संख्या सही थी. संक्षेप में कहें तो कहीं न कहीं लगभग 40 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सरकार द्वारा किए गए दावों के साथ व्यापक सहमति व्यक्त की.
अन्य लोगों की बात करें तो 23.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि आधिकारिक अनुमानों की तुलना में लगभग दोगुनी मृत्यु हुई होंगी. वहीं लगभग 11.6 प्रतिशत ने महसूस किया कि दावों के मुकाबले 3 से 4 गुना अधिक लोगों की मृत्यु हुई है. अंत में, 13 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने यह विश्वास जताया कि दूसरी लहर के दौरान मरने वाले भारतीयों की वास्तविक संख्या विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दिए गए अनुमानों से 5 गुना से अधिक रही होगी. मोटे तौर पर कहें तो अधिकांश उत्तरदाता विभिन्न राज्यों में कोविड से होने वाली मौतों के आधिकारिक आंकड़ों से सहमत नहीं हैं. यह भी पढ़ें : Maharashtra: औरंगाबाद में 31 जनवरी तक विद्यालयों में पहली से आठवीं तक कक्षाएं बंद
दूसरी लहर के दौरान वास्तव में मरने वाले भारतीयों की संख्या एक रहस्य के साथ-साथ एक विवाद भी बनी हुई है. वहीं आधिकारिक सरकारी रिपोटरें से पता चलता है कि दूसरी लहर के दौरान लगभग 2.5 लाख भारतीयों की मृत्यु हुई, जबकि कई अन्य अध्ययनों ने इससे कहीं अधिक संख्या का सुझाव दिया. एक आईएएनएस-सीवोटर ट्रैकर ने पिछले साल खुलासा किया था कि दैनिक ट्रैकिंग सर्वेक्षण के दौरान संपर्क करने वाले कम से कम 4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके परिवार, मित्र मंडली, पड़ोस, कार्यालय या परिचित लोगों में से किसी न किसी व्यक्ति की मृत्यु दूसरी लहर के दौरान कोविड से हुई थी. यह आधिकारिक अनुमान से कहीं अधिक वास्तविक आंकड़ा दशार्ता है.