संभल में कैसे बिगड़े हालात, आशंका के बाद भी कैसे जमा हो गई भीड़?
यूपी के संभल में कोर्ट के आदेश पर हो रहे जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई.
यूपी के संभल में कोर्ट के आदेश पर हो रहे जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई. कैसे भड़की ये हिंसा और आशंका के बावजूद कैसे जमा हो गई भीड़, ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब ढूंढ़े जा रहे हैं.पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार सुबह शाही जामा मस्जिद का दोबारा सर्वे शुरू हो रहा था लेकिन इस दौरान वहां बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने दोबारा सर्वे पर सवाल उठाए, कुछ अफवाहें फैलीं, सर्वे का विरोध कर रहे कुछ लोगों की तरफ से पत्थरबाजी हुई, गुस्साई भीड़ ने कई गाड़ियों में आग लगा दी.
पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठी चार्ज किया और देखते ही देखते संभल में भीषण हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई. कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं और कई प्रशासनिक अधिकारी भी घायल हुए हैं. घटना के बाद संभल में इटरनेट सेवाएं बंद है, बारहवीं कक्षा तक के सभी स्कूल बंद कर दिए गए और बाहरी लोगों के आने पर एक दिसंबर तक रोक लगा दी गई है.
प्रशासन की तरफ से बताया जा रहा है कि स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक, तनाव अभी बना हुआ है.पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार भी किया है जिन्हें अदालत में पेश किया जा रहा है. इसके अलावा 2500 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
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विपक्षी दल के सरकार पर आरोप
जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क भी शामिल है. हालांकि सांसद बर्क का दावा है कि वो रविवार को संभल में थे ही नहीं, बल्कि ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बंगलुरु गए थे. लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ ये एफआईआर उनके बयानों के आधार पर दर्ज की है, जिनकी वजह से हिंसा भड़कने की बात कही जा रही है.
इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि यह सरकार द्वारा प्रायोजित दंगा है क्योंकि कोर्ट के आदेश पारित किए जाने के तुरंत बाद ही पुलिस और प्रशासन सर्वे के लिए जामा मस्जिद पहुंच गए. उन्होंने रविवार को पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए. मीडिया से बातीच में अखिलेश यादव ने कहा, "पुलिस ने सांसद जियाउर रहमान के खिलाफ मामला दर्ज किया है जबकि वो उस वक्त संभल में ही नहीं थे."
खबर है कि पुलिस ने शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली को भी हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. हिरासत में लिए जाने से कुछ देर पहले ही जफर अली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें रविवार को हुई हिंसा के लिए संभल के जिलाधिकारी को जिम्मेदार बताया था.
मुरादाबाद रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मुनिराज जी ने मीडिया को बताया कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और संभल में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात है. डीआईजी ने हिंसा में अब तक चार लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है.
रामपुर मंडल के आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने बताया, "हिंसा के दौरान कुछ युवाओं ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन इस मामले में पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई की है. हिंसा के दौरान कुछ लोगों ने मस्जिद पर पथराव करने की कोशिश की थी, जिनकी पहचान सीसीटीवी फुटेज से की जा रही है. हिंसा में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जरूरत पड़ी तो रासुका भी लगाई जाएगी.”
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मस्जिद की खुदाई के अफवाह
प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी बता रहे हैं कि हिंसा में कुछ बाहरी तत्व शामिल थे और उन्होंने ही पत्थरबाजी भी की जिनकी पहचान की जा रही है. ऐसे कुछ वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें पुलिस अधिकारी लोगों से और खासकर बच्चों से अपील कर रहे हैं कि वो हिंसा ना करें और लोगों के बहकावे में ना आएं.
हालांकि सवाल उठ रहे हैं कि आखिर माहौल गर्म होने की आशंका के बावजूद बड़ी संख्या में ‘बाहरी लोग' कैसे आ गए और मस्जिद के इर्द-गिर्द इकट्ठे भी हो गए. स्थानीय लोगों के मुताबिक, ये पुलिस और प्रशासन की नाकामी है वहीं अधिकारी इस बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं.
रविवार को जामा मस्जिद को दोबारा सर्वे के लिए जब टीम पहुंची तभी कुछ लोगों ने आपत्ति की कि जब एक बार सर्वे हो गया है तो दोबारा फिर क्यों सर्वे हो रहा है?
जामा मस्जिद के शाही इमाम और वकील जफर अली ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि तनाव उस वक्त बढ़ा जब ये अफवाहें फैल गईं कि सर्वे के दौरान मस्जिद की खुदाई की जाएगी.
जफर अली का कहना है, "हमने तो लोगों से अपने घरों में जाने की अपील की थी, फिर भी कुछ लोग वहां मौजूद रहे. मेरे सामने डीआईजी, एसपी और डीएम ये चर्चा कर रहे थे कि तुरंत गोली चलाने का फैसला लिया जाए. मैंने अपील की. ज्यादातर लोग तो चले गए लेकिन कुछ लोग नहीं गए. वो ये देखने के लिए खड़े रहे कि क्या वाकई जामा मस्जिद की खुदाई हो रही है. खुदाई की अफवाह अंदर से आते हुए पानी को देखकर फैली.”
पुलिस पर आरोप
जफर अली यह भी दावा करते हैं कि जो मौतें हुई हैं वो पुलिस की गोली से ही हुई हैं और गोली उनकी मौजूदगी में पुलिस ने चलाई है. हालांकि पुलिस और प्रशासन के अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि युवकों की मौत पुलिस की गोली से हुई है. पुलिस के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जो गोलियां मिली हैं, पुलिस उनका इस्तेमाल नहीं करती.
हालांकि मृतकों के परिजनों और कुछ चश्मदीदों का कहना है कि पुलिस ने गोलियां चलाई हैं और इस तरह के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें पुलिस वाले ना सिर्फ गोलियां चलाते हुए दिख रहे हैं, बल्कि गोलियां चलाने के लिए अपने साथियों को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं.
इस हिंसा में कोतवाली क्षेत्र के कोटगर्वी मोहल्ले के रहने वाले 35 वर्षीय नईम की भी मौत हो गई. नईम के छोटे भाई तसलीम ने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि उनके भाई की मौत पुलिस की गोली से ही हुई है. तसलीम ने मीडिया से बातचीत में कहा, "नईम फतेहउल्ला सराय में मिठाई की दुकान चलाते थे. रविवार की सुबह वह दुकान के लिए रिफाइंड लेने घर से निकले थे. जामा मस्जिद के पास ही उन्हें गोली मार दी गई. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और हम लोगों को भगा दिया.”
मस्जिद का सर्वे करने के आदेश
घटना की शुरुआत पिछले हफ्ते 19 नंवंबर को तब हुई जब संभल की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दाखिल याचिका के आधार पर कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए. उसी दिन सर्वे टीम मस्जिद पहुंच गई और देर रात तक सर्वे का काम पूरा करके वापस आ गई. लेकिन रविवार यानी 24 नवंबर को मस्जिद का सर्वे करने टीम जब दोबारा पहुंची तो संभल में बवाल हो गया.
कोर्ट ने 19 नवंबर को अपने आदेश में सर्वे का काम एक हफ्ते में पूरा करने का आदेश दिया था लेकिन कोर्ट कमिश्नर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उसी शाम सर्वे के लिए पहुंच गए. कोर्ट की जल्दबाजी पर भी सवाल उठ रहे हैं कि उसने महज ढाई घंटे में बिना मुस्लिम पक्ष को सुने ही सर्वे का आदेश दे दिया.
इस दौरान, ना तो 19 नवंबर को कोई हंगामा हुआ और ना ही 22 नवंबर को, जिस दिन मस्जिद में जुमे की नमाज होती है. 22 नवंबर को कड़ी सुरक्षा के बीच जुमे की नमाज अदा की गई. रविवार को दोबारा सर्वे की सूचना पर स्थिति बिगड़ गई. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर यह भी कहा है कि सर्वे के दौरान कोर्ट कमिश्नर की टीम और अधिकारियों के बीच कुछ ऐसे लोग भी मौजूद थे जिन्होंने ‘जय श्रीराम' जैसे नारे लगाए.
एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, "मुस्लिम पक्ष की ओर से नारेबाजी हो रही थी और तभी सर्वे टीम में मौजूद कुछ लोगों ने भी नारे लगाए जिससे स्थिति और भड़क गई. इस तरह के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं.” हालांकि हमने जब घटना के वक्त मौजूद कुछ स्थानीय पत्रकारों से इस बारे में बात की तो किसी ने भी इसकी पुष्टि नहीं की. यह अलग बात है कि सोशल मीडिया पर नारेबाजी के ऐसे वीडियो मौजूद हैं.