बिहार के सीतामढ़ी में HIV का बढ़ता खतरा, 7400 मामले सामने आए, 400 से ज्यादा बच्चे संक्रमित

बिहार के सीतामढ़ी जिले में HIV संक्रमण के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताओं को गहरा कर दिया है. जिले के एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 7,400 से अधिक लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें 400 से ज्यादा बच्चे भी शामिल हैं.

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बिहार के सीतामढ़ी जिले में HIV संक्रमण के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताओं को गहरा कर दिया है. जिले के एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 7,400 से अधिक लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें 400 से ज्यादा बच्चे भी शामिल हैं. यह स्थिति न सिर्फ भयावह है, बल्कि यह बताती है कि जागरूकता की कमी कैसे एक पूरे समुदाय को संकट में डाल सकती है.

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, संक्रमित बच्चों में ज्यादातर वे हैं जिन्होंने यह वायरस अपने माता-पिता से जन्म के दौरान पाया. यानी संक्रमण गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान ट्रांसफर हुआ. एआरटी सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि परिवारों में एचआईवी परीक्षण की अनदेखी और जागरूकता की भारी कमी इस संकट का मुख्य कारण है.

डॉ. हसीन अख्तर ने बताया कि हर महीने 40 से 60 नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं और फिलहाल 5,000 से अधिक मरीज नियमित दवाएं ले रहे हैं. उन्होंने कहा, “सीतामढ़ी अब हाई-लोड एचआईवी सेंटर बन चुका है, जो बेहद चिंताजनक है.”

क्या है कारण?

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संक्रमण के तेजी से फैलने के पीछे कई सामाजिक कारण हैं

इन कारकों ने मिलकर सीतामढ़ी को एचआईवी का हॉटस्पॉट बना दिया है.

प्रशासन अलर्ट: गांव-गांव चलेगी जागरूकता मुहिम

स्थिति बिगड़ते देख प्रशासन हरकत में आ गया है और जिले में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू किए जा रहे हैं. एआरटी सेंटर जल्द ही कम्युनिटी आउटरिच कार्यक्रम शुरू करेगा. स्वास्थ्य टीमें गांवों में एचआईवी टेस्टिंग कैंप्स लगाएंगी. लोगों को सुरक्षित यौन संबंध, HIV के खतरे और नियमित टेस्टिंग के महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी.

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते जागरूकता नहीं बढ़ाई गई और लगातार जांच नहीं की गई, तो आने वाले महीनों में मामला और बिगड़ सकता है.

क्यों बढ़ रहा है खतरा? विशेषज्ञों की नजर में सबसे जरूरी कदम

स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि सीतामढ़ी की स्थिति पूरे बिहार के लिए खतरे की घंटी है. उनका कहना है कि सुरक्षित यौन व्यवहार की जानकारी देना, संक्रमित सुई और ब्लेड से बचाव और समय पर एचआईवी जांच कराना, एचआईवी के फैलाव को रोकने के लिए बेहद जरूरी है.

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