Hindu Succession Act 2005: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, संशोधित हिंदू उत्तराध‍िकार कानून के पहले पिता की मृत्यु होने पर भी बेटी संपत्ति में बराबर की हकदार
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: देश की शीर्ष कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए मंगलवार को कहा कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 (Hindu Succession Act, 2005) के तहत एक बेटी को भी संपत्ति में बराबर का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज अपने आदेश में कहा कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के लागू होने से पहले हिस्सेदार की मौत होने पर भी बेटियों का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा. अब तक बेटी को संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार तभी माना जाता था, जब पिता 9 सितंबर 2005 यानि संशोधित हिंदू उत्तराध‍िकार कानून लागू होने पर जीवित हों.

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2015 में अपने एक फैसले में पिता की संपत्ति में बेटियों के बराबर के अधिकार को सीमित कर दिया था. तब कोर्ट ने कानून की व्याख्या करते हुए कहा था कि अगर पिता की मृत्यु 2005 में हिंदू उत्तराध‍िकार कानून में संसोधन से पहले हो चुकी है तो ऐसी स्थि‍ति में बेटियों को संपत्ति‍ में बराबर का अधिकार नहीं होगा. सितंबर 2005 में कानून को संशोधन कर पिता की संपत्ति‍ में बेटी को भी बेटे के समान ही बराबर का अधिकार  दिया गया. 4G Internet to start in Kashmir: एक साल बाद जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में बहाल होगी 4जी इंटरनेट सेवा, 15 अगस्त के बाद हटेगा बैन

उल्लेखनीय है कि पिता द्वारा अर्जित अथवा पुस्तैनी जायदाद पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत जायदाद पर बेटे या बेटी का समान हक बनता है, वह चाहे विवाहित हो अथवा अविवाहित. इससे पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में बेटी के लिए पिता की संपत्ति में अधिकार का जिक्र नहीं था. हालांकि संयुक्त हिंदू परिवार होने की स्थि‍ति में बेटी को जीविका की मांग करने का कानूनी अध‍िकार दिया गया था.