Himachal Political Crisis: कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य ने की बागियों से मुलाकात
Vikramaditya Singh- ANI

शिमला, 1 मार्च : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार में 'राजनीतिक संकट' अभी खत्म नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ 'विद्रोह का झंडा' उठाने वाले कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह शुक्रवार को चंडीगढ़ में बागी विधायकों से मुलाकात के बाद दिल्ली पहुंचेे.

एक दिन पहले ही कांग्रेस के पर्यवेक्षक डी.के. शिवकुमार ने कहा था कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार बनी रहेगी और सभी विधायक पांच साल के लिए कांग्रेस सरकार चाहते हैं. दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान के तहत अयोग्यता का सामना कर रहे छह बागी विधायकों में से दो विधायकों ने विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात नहीं की. यह भी पढ़ें : Nagpur,Dolly Chaiwala With Bill Gates: डॉली चायवाले ने कहा,मुझे नहीं पता था,वो बिल गेट्स हैं- वीडियो

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने 28 फरवरी को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा कि विधायकों को दरकिनार किया गया, उनकी अनदेखी की गई और राजकोष का कुप्रबंधन हुआ. उन्होंने कहा था, ''इन सभी मुद्दों को समय-समय पर दिल्ली में हाईकमान के सामने उठाया गया, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया.''

पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा दो दिनों की बातचीत और बैठकों के बाद कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा न कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य को शांत कराया था.

दूसरी बार विधायक बने विक्रमादित्य सिंह ने तब तक अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया, जब तक पर्यवेक्षकों ने सरकार और पार्टी संगठन के बीच समन्वय के लिए छह सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा नहीं कर दी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि विक्रमादित्य सिंह और उनकी मां और सांसद प्रतिभा सिंह को नजरअंदाज करना वह कांटा हो सकता है, जो चुभ सकता है . राज्य की राजनीति में उनके परिवार के कद को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

पार्टी आलाकमान ने प्रतिभा सिंह को मना लिया था कि उनके विधायक बेटे को उचित रूप से समायोजित किया जाएगा. वह पार्टी के दिग्गज वीरभद्र सिंह की विधवा हैं, जो रिकॉर्ड छह बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे. वरिष्ठ नेता वीरभद्र का जुलाई 2021 की शुरुआत में शिमला में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. वह पार्टी आलाकमान के साथ अपनी निकटता पर भरोसा करने के बजाय अपनी शर्तों पर राजनीति करने की एक समृद्ध राजनीतिक विरासत छोड़ गए.

पार्टी से अयोग्यता का सामना कांग्रेस के छह विधायकों ने हाल ही में राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के लिए क्रॉस वोटिंग की थी. विक्रमादित्य सिंह ने भी अपने इस्तीफे के वक्त मीडिया से कहा था कि सरकार सभी के योगदान से बनी है, लेकिन विधायकों की अनदेखी की गई और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई.