Hijab Ban During Board Exam: हिजाब विवाद पर SC ने तुरंत सुनवाई से किया इनकार, होली के छुट्टी के बाद होगा बेंच का गठन

कर्नाटक हिजाब मामला तुरंत सुनने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया है. सीजेआई ने कहा, 'होली की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए बेंच का गठन करेंगे.'

Supreme Court (Photo Credit- ANI)

नई दिल्ली: कर्नाटक हिजाब मामला तुरंत सुनने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया है. सीजेआई ने कहा, 'होली की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए बेंच का गठन करेंगे.' दरअसल, होली के कारण 12 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह एक बेंच का गठन करेगा और कर्नाटक में 5 दिनों के बाद होने वाली परीक्षा में हिजाब पहनने वाली छात्राओं को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की याचिका पर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि वह मामले को होली के बाद सूचीबद्ध करेगी. वकीलों को कोर्ट रूम में आईपैड, लैपटॉप का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए: CJI डीवाई चंद्रचूड़.

इस मामले में कर्नाटक के स्कूल शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने कहा कि वर्षिक परीक्षा के दौरान हिजाब पहने की अनुमति नहीं दी जाएगी. बोर्ड परीक्षा (Karnataka Board Exam) में हिजाब पहनने पर पबंदी पहले की तरह ही रहेगी. नियमों में किसी भी तरह का कोई भी कंप्रोमाइज नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कौन सी छात्रा हिजाब पहनने नहीं देने से बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाती हैं. इस बात को हम गंभीरता से नहीं लेते हैं.

गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 मार्च, 2022 को अपना सुनाते हुए हिजाब पर प्रतिबंध जारी रखा था, जिसके खिलाफ कई याचिकाएं शीर्ष अदालत पहुंची थी. न्यायमूर्ति ने उच्च न्यायालय को चुनौती देने वाली अपीलें खारिज कर दी थी, जबकि दूसरे सदस्य न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा था कि स्कूलों और कॉलेजों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा था कि किसी समुदाय को अपने धार्मिक प्रतीकों को स्कूलों में पहनने की अनुमति देना ‘‘धर्मनिरपेक्षता के विपरीत’’ होगा, जबकि न्यायमूर्ति धूलिया ने जोर देकर कहा था कि मुस्लिम हिजाब पहनना केवल ‘‘पसंद का मामला’’ होना चाहिए.

राज्य सरकार ने पांच फरवरी, 2022 को हिजाब पर प्रतिबंध संबंधी आदेश जारी किया था, जिसे मुस्लिम लड़कियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जहां से राहत न मिलने के बाद शीर्ष अदालत में कई अपील दायर की गयी थी.

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