उत्तराखंड और हिमाचल में मूसलधार बारिश से हाहाकार, IMD ने बताया कब मिलेगी राहत
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देहरादून: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सोमवार रात हुई भीषण बारिश ने तबाही मचा दी. देहरादून और आसपास के इलाकों में 500 से ज्यादा लोग फंस गए, जबकि कम से कमपांच लोगों के बह जाने की खबर है. हिमाचल के मंडी जिले में भूस्खलन और फ्लैश फ्लड से एक बस स्टैंड डूब गया और एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई. मौसम विभाग ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अगले दो दिनों तक मध्यम से भारी बारिश का अनुमान जताया है. दोनों राज्यों में 17 और 18 सितंबर को बारिश जारी रहेगी. 22 सितंबर तक कुछ स्थानों पर गरज, चमक के साथ बारिश जारी रहेगी.

भारतीय मौसम विभाग (IMD) देहरादून केंद्र के प्रमुख चंदर सिंह तोमर के मुताबिक, उत्तराखंड और हिमाचल की यह बारिश सूखी पश्चिमी हवाओं (Westerlies) और नमी से भरी पूर्वी हवाओं (Easterlies) की टक्कर से हुई. उन्होंने बताया कि अगले 24 घंटों तक यह प्रभाव जारी रह सकता है. स्काइमेट के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने भी बताया कि क्षेत्र में कोई बड़ा वेदर सिस्टम नहीं था, बल्कि राजस्थान के पास बने एंटी-साइक्लोन से निकली गर्म और सूखी हवाओं का नमी वाली पूर्वी हवाओं से हिंसक टकराव ही बारिश की वजह बना.

इस मानसून में बढ़ी आपदाओं की संख्या

हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन के दौरान अब तक 232 लोगों की मौत बारिश से जुड़ी घटनाओं में हो चुकी है. राज्य में 46 क्लाउडबर्स्ट, 97 फ्लैश फ्लड और 140 भूस्खलन दर्ज किए गए, जिससे ₹4,504 करोड़ का नुकसान हुआ है. हालांकि आईएमडी ने क्लाउडबर्स्ट के आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.

औसत से कहीं ज्यादा बारिश

उत्तरी भारत में इस बार बारिश सामान्य से काफी अधिक रही.

  • उत्तराखंड: अब तक 1,343.2 मिमी बारिश- सामान्य से 22% ज्यादा.
  • हिमाचल प्रदेश: 1,010.9 मिमी बारिश- सामान्य से 46% ज्यादा.
  • मध्य भारत: 1,002 मिमी- सामान्य से 10% ज्यादा.
  • दक्षिणी प्रायद्वीप: सामान्य से 7% ज्यादा.
  • पूर्वोत्तर भारत: सामान्य से 19% कम.

पंजाब ने भी दशकों बाद सबसे भीषण बाढ़ झेली. मानसून की वापसी (14 सितंबर) इस बार तीन दिन पहले शुरू हुई, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) ने बारिश को लगातार सक्रिय रखा.

जलवायु पैटर्न और बदलते मौसम की चेतावनी

मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार हो रही तेज बारिश, क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश फ्लड जैसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन और असामान्य हवाओं के पैटर्न का संकेत हैं. जिस तरह की बारिश पहले कई दिनों में होती थी, वह अब कुछ घंटों में हो रही है, जिससे अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएँ बढ़ रही हैं.