Lockdown again in India? भारत में दूसरे लॉकडाउन की कितनी है संभावना बता रहे हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
कोरोना वायरस (Photo Credits: Pixabay)

फ्रांस के बाद जर्मनी में आज से आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया है. पश्चिमी देशों से आ रही ऐसी खबरों से भारत में भी कुछ लोग पुन: लॉकडाउन की बात करने लगे हैं, हालांकि भारत में ग्राफ नीचे की ओर है, सलिए फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है. फिर भी सतर्कता की जिम्मेदारी हम सभी पर है. दोबारा लॉकडाउन की नौबत कब आ सकती है, या उसकी कितनी संभावना है, इस पर हम यहां चर्चा कर रहे हैं.

देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये अधिक से अधिक जांच कर संक्रमितों का पता लगाने की मुहिम में एक नवंबर तक कुल जांच का आंकड़ा 11 करोड़ को पार कर गया. हालांकि राहत की बात ये है कि जहां केस 97 हजार तक पहुंच गये थे, पिछले कुछ दिनों में अब आधे हो गये हैं, लेकिन कई राज्य ऐसे हैं जहां केस बढ़ने लगे हैं. इस बारे में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉ. एन एन माथुर कहते हैं कि हर राज्य का अपना-अपना कर्व है और देश का अपना कर्व है. देश का कर्व डाउन है, लेकिन राज्यों का कर्व थोड़ा अलग है. कहीं नीचे है तो कहीं ऊपर हो रहा है. यानी हर राज्य में कोरोना की लहर अलग-अलग समय पर है. ध्‍यान रहे अगर किसी एक राज्य में केस के बढ़ने का पैटर्न दिखता है तो बारी-बारी दूसरे राज्यों में भी ऐसा ट्रेंड आ सकता है. यह भी पढ़े: अध्ययन के मुताबिक भारत में लॉकडाउन की वजह से 630 जिंदगियां वायु प्रदूषण से बच गयीं 

जहां एक ओर भारत में नये केस की संख्या कम हुई है, वहीं कई देशों में कोरोना के दूसरे लहर की संभावना को देखते हुये लॉकडाउन लगाया गया है. ऐसे में भारत में दूसरा लॉकडाउम संभव है या नहीं इस पर उन्होंने कहा कि फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों में दोबारा लॉकडाउन लगाया गया है. यूरोप और अमेरिका में केस काफी ज्यादा हैं और मृत्यु दर भी. एक सीमित संख्या के बाद पिछले कुछ दिनों से केस बढ़ने लगे हैं. दोनों देशों में हमारे देश के मुकाबले जनसंख्या भी कम है, लेकिन उनके यहां कोरोना की जो स्थिति है, उससे हमारा देश काफी अच्छी स्थिति में है.

लेकिन जहां तक लॉकडाउन का है ये कोरोना का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसका निर्णय सरकार का है. इसमें देखना होगा कि अगर केस बढ़ते हैं, तो संक्रमण को बढ़ने से कैसे रोका जाये. राज्य और केंद्र स्थिति की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लेंगे, क्योंकि अर्थव्यवस्था का फैक्टर भी देखना होता है. अगर स्थिति गंभीर होने लगी तो छोटे-छोटे इलाकों या शहरों में छोटे-छोटे लॉकडाउन लगाये जा सकते हैं. पूरे देश में अब लॉकडाउन की संभावना बहुत कम है.