HC On Love Marriage: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि "स्वयंवर यानी अपनी पसंद से शादी करना कोई आधुनिक घटना नहीं है. इसकी जड़ें रामायण, महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथों सहित प्राचीन इतिहास में खोजी जा सकती हैं....अनुच्छेद 21 इस मानव अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में लागू कर रहा है."
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने एक व्यक्ति के खिलाफ एक लड़की का अपहरण करने और बाद में उससे शादी करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि 'स्वयंवर' यानी अपनी मर्जी से शादी करना कोई आधुनिक परिघटना नहीं है. इसकी जड़ें प्राचीन इतिहास में खोजी जा सकती हैं, जिसमें रामायण, महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथ शामिल हैं. ये भी पढ़ें - खेल-खेल में दिल हारी; सरहदें लांघ भारत जा पहुंची पाकिस्तानी लड़की, UP के लड़के से की शादी, पुलिस ने भेजा वापस
न्यायमूर्ति बंसल ने कहा, "कानून का उद्देश्य - चाहे प्रथागत हो, धार्मिक हो या विधायिका द्वारा बनाया गया हो - हर इंसान के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना है. कानून का उद्देश्य किसी व्यक्ति की बिना किसी गलती के उसके स्थापित जीवन को बिगाड़ना नहीं है.
लड़की के पिता ने दी है तहरीर
लड़की के पिता द्वारा दायर शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 17 जनवरी, 2019 को वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ एक कमरे में सो रहा था. 18 जनवरी 2019 की सुबह उसने देखा कि उसकी बेटी कमरे में नहीं है. इसके बाद उन्होंने उसकी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिली. बाद में उसे पता चला कि उसके पड़ोस के एक लड़के ने उसकी बेटी को शादी का झांसा देकर अगवा कर लिया है और उसकी बेटी का आधार कार्ड और 60 हजार रुपये छीन लिया है.
बाद में, याचिकाकर्ता और लड़की ने 3 जुलाई 2019 को श्री मुक्तसर साहिब के एक गुरुद्वारा साहिब में शादी कर ली. याचिकाकर्ता ने अपने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
उच्च न्यायालय में वकील ने कहा कि "सच है कि याचिकाकर्ता और लड़की ने सहमति से विवाह किया और अब वे दो बच्चों के माता-पिता हैं.
'कपल को अपने तरीके से जीने का पूरा अधिकार'
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस बंसल ने कहा, 'मामले में पक्षकार बालिग हैं और उन्होंने अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी की है. वे खुशी-खुशी एक साथ रह रहे हैं और अदालतों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों सहित किसी को भी बिना किसी गलती के उनका जीवन खराब करने का अधिकार नहीं है. उन्हें अपना जीवन अपने तरीके से जीने का पूरा अधिकार है.
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