Haryana: सीएम मनोहर लाल ने अम्बाला में बन रहे आजादी की पहली लड़ाई के शहीद स्मारक के निर्माण कार्यों का जायजा लिया
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज अम्बाला छावनी में बनाए जा रहे आजादी की पहली लड़ाई का शहीद स्मारक के निर्माण कार्यों का जायजा लिया
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज अम्बाला छावनी में बनाए जा रहे आजादी की पहली लड़ाई का शहीद स्मारक के निर्माण कार्यों का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी का यह 75वां वर्ष है जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आजादी की गाथा बहुत लंबी है और इस महोत्सव के दौरान युवाओं को आजादी के संग्राम और शहीदों के बारे में जानकारी मिले, इसके दृष्टिगत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
इस अवसर पर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक के निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने के दौरान प्रस्तुतीकरण के माध्यम से 1857 स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति जो अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी, उसके बारे में जानकारी ली. यह शहीद स्मारक 22 एकड़ में 261 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है और इसका लगभग 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. इस स्मारक में इंटरप्रीटेशन सैंटर, ओपन एयर थियेटर, म्यूजियम, ओडिटोरियम, वाटर बॉडी एंड कनैक्टिंग ब्रिज, मेमोरियल टावर, अंडर ग्राउंड डबल बेसमैंट पार्किंग, इन्फोरमेशन सैंटर, हैलीपैड आदि का निर्माण किया जा रहा है. शहीद स्मारक कार्यों का अवलोकन करने के उपरांत मुख्यमंत्री ने अधिकारियों तथा शहीद स्मारक को तैयार करने में अपना योगदान देने वाले राईटर को भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. यह भी पढ़े: हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने की अंत्योदय ग्राम उत्थान मेलों के प्रगति की समीक्षा
अम्बाला से शुरू हुई थी आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी
श्री मनोहर लाल ने कहा कि पहले यह माना जाता था कि 1857 की क्रांति मेरठ से शुरू हुई थी लेकिन तथ्यों और इतिहासकारों के द्वारा यह बताया गया कि मेरठ से 10 घंटे पहले स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी अम्बाला छावनी में उठी थी जोकि धीरे-धीरे हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों तथा देश के विभिन्न हिस्सों तक फैल गई। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति और शहीदों की याद में यह महत्वपूर्ण स्मारक बनाया जा रहा है जिससे आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा मिलेगी और उन्हें अपने क्रांतिकारी वीर शहीदों के जीवन के बारे में जानकारी मिल पायेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किताबों कहानियों के द्वारा इतिहास कईं प्रकार से जाना जा सकता है, लेकिन इस प्रकार के ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण होने से देखने वालों को प्रत्यक्ष रूप से इतिहास की जानकारी मिलती है. उन्होंने कहा कि शहीद स्मारक से जन-जन में देश के प्रति और अधिक प्रेम की भावना जागृत होगी. उन्होंने कविता की पंक्तियों, जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं, वह ह्दय नहीं है पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं के द्वारा देश-प्रेम के बारे अपने भाव व्यक्त किए.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अनसंग हीरों की याद में अम्बाला छावनी में स्मारक बनाने की लगातार उठाई आवाज
इस अवसर पर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री का अम्बाला छावनी में पहुंचने पर स्वागत करते हुए कहा कि वे सन 2000 से विधानसभा में यह विषय रखते आए हैं कि 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी और उन अनसंग हीरों की याद में अम्बाला छावनी में एक स्मारक बनना चाहिए। वे आवाज लगातार उठाते आ रहे थे। उनका ध्येय भी यही था कि आजादी की जो चिंगारी अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी उसके बारे में जन-जन को जानकारी मिले और शहीद स्मारक के माध्यम से लोग अपने शहीदो की कुर्बानियों एवं बलिदानों को याद कर उनसे प्रेरणा ले पाएं.
उन्होंने कहा कि कुछ दलों ने शुरू से यह इतिहास पढाया कि आजादी की लड़ाई उन्होंने लड़ी जबकि यह लड़ाई 1857 में शुरू हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि इससे यह बात साफ होती है कि हिन्दुस्तान के लोगों में आजाद होने का जज्बा पहले से ही था और उन्होने आजादी की पहली अलख 1857 में ही जगा दी थी.ऐसे क्रांतिकारी वीर शहीदों का नाम कहीं आगे नहीं आने दिया गया और उनके जीवन के बारे में पढाया नहीं गया और न ही उन्हें याद किया गया। गृहमंत्री ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी और उन्होंने शहीद स्मारक की बात मुख्यमंत्री के सामने रखी तो उन्होंने इसे तुरंत स्वीकृति दे दी.
अंबाला में बन रहा स्मारक हिंदुस्तान का सबसे बेहतरीन आर्किटैक्चर होगा
श्री अनिल विज ने कहा कि हिंदुस्तान का यह सबसे बेहतरीन आर्किटैक्चर शहीद स्मारक बन रहा है और इसके लिए इतिहासकारों की एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में प्रो. युवी सिंह को भी लिया गया है तथा इतिहासकार स्वर्गीय के.सी. यादव के रिसर्च एवं दस्तावेजों के माध्यम से भी यह साबित होता है कि आजादी की पहली लड़ाई जो 1857 में शुरू हुई थी वह मेरठ से लगभग 10 घंटे पहले अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी