भारत सरकार ने दवा कंपनियों को बड़ा निर्देश जारी किया है. हाल ही में दूषित कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौतों के बाद अब सरकार अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहती. इसी के तहत देश की सभी फार्मा कंपनियों को जनवरी 2025 से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों को अपनाना अनिवार्य कर दिया गया है. इस फैसले ने पूरे दवा उद्योग, खासकर छोटे निर्माताओं में हलचल मचा दी है.
पिछले कुछ वर्षों में भारत से निर्यात किए गए कफ सिरप की वजह से अफ्रीका और मध्य एशिया में 140 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी. इससे भारत की “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” वाली छवि पर बड़ा झटका लगा था.
अब केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने स्पष्ट कर दिया है कि दवा निर्माण प्रक्रिया में जरा भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.
जनवरी 2025: नई समयसीमा, समय नहीं बढ़ेगा
पहले बड़े दवा निर्माता जून 2024 तक इन मानकों का पालन कर चुके हैं. लेकिन छोटे और मध्यम उद्योगों को दिसंबर 2025 तक की मोहलत दी गई थी. हालांकि, मध्य भारत में 24 बच्चों की कफ सिरप पीने से मौत के बाद, सरकार ने अब किसी भी तरह की और समय सीमा बढ़ाने से इंकार कर दिया है.
CDSCO की नोटिस के मुताबिक, “1 जनवरी से सभी फार्मा यूनिट्स पर संशोधित शेड्यूल-M नियम लागू होंगे. नियमों का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.” राज्य औषधि नियामकों को भी तुरंत निरीक्षण के आदेश दिए गए हैं.
छोटे निर्माताओं की चिंता: खर्च बढ़ने से बंद हो सकती हैं यूनिट्स
फार्मा उद्योग से जुड़ी कई संस्थाओं का कहना है कि WHO मानकों को अपनाने में बड़ा निवेश लगेगा. इससे छोटे कारखाने बंद होने का खतरा है. हजारों लोगों की नौकरी पर संकट आ सकता है और आम दवाओं के दाम बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाएगी.













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