नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के कारण शहरों में बेरोजगारी (Unemployment) तेजी से बढ़ी है. इसकी प्रमुख वजह घातक वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाया गया सख्त लॉकडाउन है. लोगों की आजीविका शुरू करने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ा फैसला लेने वाली है. इसके तहत केंद्र सरकार शहरों में मजदूरी करने वाले कामगारों को रोजगार मुहैया कराने के मकसद से ग्रामीण भारत में गरीबों को कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा (MGNREGA) का विस्तार कर सकती है.
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजय कुमार (Sanjay Kumar) ने बताया की इस रोजगार कार्यक्रम को मंजूरी मिलने के बाद सबसे पहले छोटे शहरों में शुरू किया जा सकता है और शुरू में लगभग 35,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. उन्होंने बताया कि सरकार पिछले साल से इस पर विचार कर रही है, लेकिन अब महामारी के कारण इस पर चर्चा तेज हो गई है. India GDP: कोरोना से आर्थिक विकास की टूटी कमर, पहली तिमाही में 23.9 फीसदी घटी जीडीपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पहले से ही इस साल में मनरेगा कार्यक्रम पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने का फैसला लिया है. इसके तहत बतौर श्रमिक लोगों को प्रतिदिन 202 रुपये न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है. कुमार ने कहा कि छोटे शहरों में सबसे पहले इसे लागू करने का विचार इसलिए किया गया है, क्योंकि बड़े शहरों की परियोजनाओं में आमतौर पर पेशेवर विशेषज्ञता की जरूरत होती है. हालांकि यह योजना कोरोना वायरस की मार झेल रहे शहरी लोगों को राहत पहुंचाएगी.
ग्रामीण कार्यक्रम में स्थानीय सार्वजनिक निर्माण कार्य कराए जाते है. मनरेगा कार्यक्रम में सड़क निर्माण, कुआ व तालाब की खुदाई और वनीकरण जैसे काम करा कर कम से कम 100 दिन का रोजगार दिया जाता है. अब तक 270 मिलियन लोग मनरेगा के तहत काम कर चुके है. जबकि लॉकडाउन के बाद शहरों से गांव लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों (Migrant Worker) को भी इसी से रोजगार दिया जा रहा है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार अप्रैल में 121 मिलियन से अधिक लोगों की नौकरी गई और बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 23 फीसदी तक बढ़ गई. हालांकि लॉकडाउन के हटने के बाद से बेरोजगारी दर में गिरावट आई है.