
गोंडा: होली का त्योहार आते ही बाजारों में मिठाइयों की बहार आ जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक मिठाई की दुकान ने लोगों को चौंका दिया है. यहां 50,000 रुपये प्रति किलो की दर से 'गोल्डन गुजिया' बेची जा रही है, जिसकी कीमत प्रति पीस 1300 रुपये है.
दुकान के मैनेजर शिवकांत चतुर्वेदी ने बताया कि यह खास गुजिया 24 कैरेट सोने की परत से सजी हुई है. उन्होंने कहा, "हमारी 'गोल्डन गुजिया' में शुद्ध सोने की परत चढ़ाई गई है. इसके अलावा, इसमें प्रीमियम क्वालिटी के सूखे मेवे, काजू, बादाम, पिस्ता और विदेशी केसर का इस्तेमाल किया गया है."
#WATCH उत्तर प्रदेश: गोंडा में एक मिठाई की दुकान में 50,000 रुपए प्रति किलो की दर से 'गोल्डन गुजिया' बिक रही हैं। (12.03) pic.twitter.com/UwTyDsakax
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 13, 2025
सोने की परत और अनोखी स्टफिंगशिवकांत चतुर्वेदी के अनुसार, इस खास गुजिया को तैयार करने में विशेष सावधानी बरती जाती है. इसकी स्टफिंग में पारंपरिक खोया के साथ-साथ विदेशी केसर और हाई क्वालिटी के ड्राई फ्रूट्स का मिश्रण किया जाता है. ऊपर से इसे खाने योग्य सोने की पतली परत से सजाया जाता है, जो इसे बेहद आकर्षक और खास बनाती है.
#WATCH गोंडा: दुकान के मैनेजर शिवकांत चतुर्वेदी ने कहा, "हमारी 'गुजिया' में 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी हुई है। इसकी स्टफिंग में खास तरह के सूखे मेवे हैं...इस 'गुजिया' की कीमत 50,000 रुपए प्रति किलो और 1300 रुपए प्रति पीस है..." https://t.co/dqTNjQsN4s pic.twitter.com/kmBcdsdUWF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 13, 2025
गोल्डन गुजिया को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साहइस अनोखी मिठाई को देखने और खरीदने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. कई लोग इसे होली के मौके पर गिफ्ट करने के लिए खरीद रहे हैं. वहीं, सोशल मीडिया पर भी 'गोल्डन गुजिया' चर्चा का विषय बनी हुई है.
क्या कह रहे हैं ग्राहक?गुजिया खरीदने आए एक ग्राहक राजेश गुप्ता ने कहा, "पहली बार इतनी महंगी गुजिया देखी है. स्वाद लाजवाब है, और इसमें इस्तेमाल किए गए मेवे और सोने की परत इसे वाकई खास बनाते हैं." वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इतनी महंगी गुजिया खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन त्योहार पर कुछ खास करने का यह एक नया तरीका हो सकता है.
गोल्डन गुजिया की बढ़ती मांगदुकान के मालिक के अनुसार, यह खास गुजिया एक लिमिटेड एडिशन प्रोडक्ट है और हर दिन इसकी सीमित संख्या ही तैयार की जाती है. उन्होंने बताया कि इस मिठाई को बनाने में पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसका स्वाद और गुणवत्ता बनी रहे.