भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा उरी हमले के बदले में की गई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी एस हुड्डा (General retired D S Hooda) ने शुक्रवार को कहा कि सफलता पर शुरुआती खुशी स्वाभाविक है लेकिन अभियान का लगातार प्रचार करना अनुचित है. इस सर्जिकल स्ट्राइक को देशभर में खूब प्रचारित प्रसारित किया गया. पीएम मोदी समेत केंद्र सरकार के लगभग सभी मंत्रियों ने इसका श्रेय खुद को ही दिया. सेना की भी तारीफ हुई लेकिन ज्यादातर वक्त मोदी सरकार ने इसे सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर अपनी ही पीठ थपथपाई. अब ऐसे में सेना के उस ऑपरेशन की निगरानी करने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा है कि, “ये सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी तो थी, लेकिन इसका कुछ ज्यादा ही राजनीतिकरण और ढिंढोरा पीटा गया”
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा सेना बहुत से ऑपरेशन करती रहती है, लेकिन इन सैन्य अभियानों का इस्तेमाल यदि राजनीतिक फायदा लेने के लिए किया जाए, तो ये देश और सेना दोनों के लिए उचित नहीं है.
General (retired) D S Hooda: I do think there was too much hype over it (surgical strike). The strike was important & we had to do it. Now how much should it have been politicised, whether it was right or wrong is something that should be asked to the politicians. (7.12) pic.twitter.com/8v0QJ1tzK5
— ANI (@ANI) December 8, 2018
उन्होंने कहा कि राजनीतिक और आर्मी के मुद्दों को अलग-अलग ही रखना बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि सभी सैन्य ऑपरेशन्स को भी सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं होती, लेकिन इस ऑपरेशन की परिस्थितियों ऐसी थी कि इसे सार्वजनिक करना पड़ा. क्या केंद्र सरकार इस ऑपरेशन के लिए राजी थी, इस सवाल के जवाब में लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा कि सैन्य अभियानों को चलाना आर्मी का फैसला होता है, लेकिन इस तरह के बड़े अभियानों पर मुहर प्रधानमंत्री ही लगाते हैं.