गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तानी सैनिकों को लाहौर स्टेशन पर ट्रेन ‘समझौता एक्सप्रेस’ में मिली थी, उस समय गीता की उम्र सात-आठ वर्ष रही होगी. इसके बाद ‘ईदी फाउंडेशन’(IDI Foundation) से जुड़े एक शख्स ने उसे वहां गोद ले लिया था.
तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के तमाम प्रयासों के बाद 26 अक्टूबर 2015 को गीता भारत लौटी थी. स्वराज गीता को ‘‘हिंदुस्तान की बेटी’’ बुलाती थीं. स्वराज ने गीता से मुलाकात करके उसे आवश्वासन दिया था कि सरकार उसके माता-पिता को ढूंढने के लिए प्रयास कर रही है. यह भी पढ़े : Weather Forecast: तमिलनाडु, केरल, पुदुचेरी में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का अनुमान- IMD.
गीता, (जिसकी उम्र 30 साल के आसपास मानी जा रही है) अभी मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में दिव्यांगों के एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘आनंद सर्विस सोसायटी’ में रहे रही है.
कई दम्पत्ति सामने आए और गीता के अभिभावक होने का दावा किया लेकिन गीता ने उनमें से किसी को नहीं पहचाना और उनमें से कोई अपने दावों के पक्ष में कोई ठोस सबूत भी नहीं पेश कर पाया. यह भी पढ़े : Immunity Booster Cake: इस बार के क्रिसमस में मिलेगा इम्यूनिटी बूस्टर केक.
इंदौर के सरकारी अधिकारी और एनजीओ अब भी गीता के माता-पिता की तलाश में जुटे हैं. गीता ने भी हार नहीं मानी है और मंगलवार को वह एनजीओ के सदस्यों के साथ अपने परिवार की तलाश में नांदेड़ पहुंची. एनजीओ के सांकेतिक के विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित की मदद से गीता ने पत्रकारों से कहा कि वह अपने माता-पिता को ढूंढने की कोशिश कर रही है.