किंग्सटन (कनाडा), 20 जून : (द कन्वरसेशन) दुनियाभर में महामारी से जुड़ी पाबंदियां धीरे-धीरे खत्म होने के साथ कंपनियां अपने कर्मचारियों की कार्यालय में वापसी के लिए कई योजनाओं की घोषणाएं कर रही हैं. पिछले एक साल से अलग-थलग और जूम के सहारे बैठक के बाद हर किसी को उम्मीद है कि कर्मचारी कार्यालय में लौटना पसंद करेंगे. लेकिन, वे इस पर आपत्ति जता रहे हैं. दरअसल, शुरुआती कुछ रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ कर्मचारी दफ्तर लौटने के बजाए नौकरी छोड़ देंगे. ऐसा क्यों? कर्मचारियों के इस पर आपत्ति जताने की कुछ वजहें हैं. सबसे पहली वजह तो ये कि कितने नियोक्ता अपने कर्मचारियों के निजी तौर पर निरीक्षण के बिना उनके काम करने की क्षमता पर गहरा अविश्वास करते हैं. यह आश्चर्यजनक नहीं है कि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की हालत बेहतर होने पर कर्मचारी उनपर भरोसा नहीं करने वाले ऐसे संस्थान और बॉस के मातहत काम करने के बजाए नए संस्थान को तरजीह दे रहे हैं. दूसरी वजह ये है कि कर्मचारी घर से काम कर सकते हैं और वह ये विशेषाधिकार नहीं गंवाना चाहते. हाल में एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि तकरीबन आधे कर्मचारी नए नियोक्ता को चुनना ज्यादा पसंद करेंगे.
कर्मचारियों को कार्य के बीच दोपहर के दौरान छोटी कक्षाओं में भाग लेने या स्कूल से अपने बच्चों को लाने जैसे छोटे-मोटे कार्य कर लेने की भी सहूलियत मिली और वे इसे गंवाना नहीं चाहते. वे महामारी के पूर्व के नौ से पांच तक की कार्यालय संस्कृति का फिर से हिस्सा नहीं बनना चाहते. तीसरी वजह यह है कि कंपनियां महामारी के दौरान एक सामंजस्यपूर्ण कार्यस्थल संस्कृति को बनाए रखने में नाकाम रही हैं. महामारी के दौरान बॉस से पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने के कारण भी कई कर्मचारियों को लगता है कि मुश्किल समय में उन्हें अकेला छोड़ दिया गया. एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया कि 46 प्रतिशत कर्मचारियों ने महामारी के दौरान अपने नियोक्ता से जुड़ाव महसूस नहीं किया जबकि 42 प्रतिशत का मानना था कि संकट के दौरान कंपनी की कार्यसंस्कृति और कठोर हो गयी. ये सब आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि शोध से पता चला है कि अगर डिजिटल तरीके से कामकाज के दौरान सही तरह से प्रबंधन ना किया जाए तो कर्मचारी अलगाव महसूस करते हैं. पिछले एक साल से ज्यादा समय से कहीं से भी काम करने की कार्य संस्कृति के कारण कर्मचारी नियोक्ता से जुड़ने के बजाए लचीलापन को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. यह भी पढ़ें : बेंगलूरु में कल से शुरू होगी BMTC की बस सेवाएं, सभी कर्मचारियों के लिए टीका है अनिवार्य
नियोक्ता इस बारे में क्या कर सकते हैं? कर्मचारियों पर ज्यादा खर्च आना नियोक्ता के लिए अच्छी खबर नहीं है. कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर आने वाली ज्यादा लागत को देखते हुए नए कर्मचारियों को भर्ती करने के बजाए अच्छे कर्मचारियों को बनाए रखने में कम खर्च आता है. कर्मचारियों के काम पर लौटने के समय नियोक्ता को चार चीजें ध्यान में रखनी चाहिए. इसमें सबसे प्रमुख पहलू है लचीलापन. कुछ कर्मचारी लचीलापन के कारण ही घर या कहीं और से काम जारी रखना चाहते हैं और इससे उनके कार्य-जीवन में संतुलन भी आता है. कर्मचारियों को अंशकालिक तौर पर घर पर काम करने की सुविधा देनी चाहिए. मिली-जुली कार्य संस्कृति की तरफ बढ़ना चाहिए जहां दफ्तर आने और घर से भी काम करने के अवसर मिलने चाहिए.
कर्मचारियों को यह जताएं कि आप उनका ख्याल रखते हैं. महामारी के बाद अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है. ऐसे में देश-विदेश सभी जगहों पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और कर्मचारियों के पास मौका होगा कि जहां वे काम करना चाहते हैं, वहां काम करें. यह समय है कि नियोक्ता कर्मचारियों को बताएं कि महामारी के दौरान किस तरह लचीली कार्यसंस्कृति को बढ़ाया गया. कार्य का निरीक्षण करने वालों को अपने कर्मचारियों से बात करनी चाहिए और उनके निजी और पेशेवराना लक्ष्यों पर चर्चा करनी चाहिए. कर्मचारियों को बनाए रखना इस पर ही निर्भर करेगा कि वे कितना खुद को प्रोत्साहित महसूस करते हैं. कार्य के लिए नए अवसर प्रदान करने के साथ वित्तीय लाभ भी दिए जा सकते हैं.
प्रदर्शन पर रखें नजर. अगर किसी कर्मचारी पर ज्यादा लागत आती है तो उसके स्थान पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले की भर्ती होनी चाहिए.