चंडीगढ़/लखनऊ, 26 फरवरी: कृषि क्षेत्र को डब्ल्यूटीओ समझौते से बाहर करने की मांग करते हुए किसानों ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर ट्रैक्टर रैलियां निकालीं और पुतले फूंके. उत्तर प्रदेश में रैलियों के कारण कई स्थानों पर यातायात बाधित हुआ और किसानों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के पुतले भी जलाए. संयुक्त अरब अमीरात में डब्ल्यूटीए का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन हो रहा है. साल 2020-21 के किसानों आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कई कृषि संघों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर प्रदर्शनकारियों ने पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर राजमार्गों के किनारे अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए. Farmers Protest: किसानों का 'दिल्ली चलो' विरोध मार्च 29 फरवरी तक रुका.
हरियाणा से लगी पंजाब की सीमा पर खनौरी और शंभू बिंदुओं पर भी डब्ल्यूटीओ के पुतले जलाए गए, जहां संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में हजारों किसान दिल्ली मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोके जाने के बाद डेरा डाले हुए हैं.
किसानों ने जलाए WTO के पुतले
VIDEO | Protesting farmers burnt effigy of World Trade Organization (WTO) in Haryana’s Jind earlier today, expressing their discontent with international trade policies.#FarmersProtest #FarmersProtest2024 pic.twitter.com/5FaeMEV8NA
— Press Trust of India (@PTI_News) February 26, 2024
WTO का विरोध क्यों कर रहे हैं किसान?
किसान नेताओं ने दावा किया कि डब्ल्यूटीओ का उद्देश्य कृषि सब्सिडी समाप्त करना है और अगर भारत ने इसका पालन किया, तो यह "आत्मघाती" होगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के आह्वान पर किसानों ने ट्रैक्टरों के साथ और डब्ल्यूटीओ के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई. दोपहर में जाकर वाहनों की आवाजाही फिर शुरू हो सकी.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों की वास्तविक मांगों को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले किसानों के खिलाफ "अत्याचार" की निंदा की.
किसानों के प्रदर्शन से बाधित हुआ यातायात
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में हाईवे पर किसानों के ट्रैक्टर मार्च से कई जगहों पर यातायात बाधित हुआ. उन्होंने दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाई लेन को भी अवरुद्ध कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने पुरकाजी थाना क्षेत्र के भूराहेड़ी, खतौली थाना क्षेत्र के भंगेला, मंसूरपुर चौराहा और छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए.
मेरठ में राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर बीकेयू कार्यकर्ताओं और किसानों ने अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए, जिससे सड़क पर जाम लग गया. राजमार्ग पर डब्ल्यूटीओ का एक पुतला भी जलाया गया, इस दौरान बीकेयू जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी की अधिकारियों से तीखी नोकझोंक हुई. बीकेयू कार्यकर्ताओं ने मदनपाल यादव की अध्यक्षता में बैठक की, जिसमें पदाधिकारियों ने 14 मार्च को दिल्ली कूच का आह्वान किया.
WTO किसान विरोधी
पंजाब के होशियारपुर में, किसानों ने जालंधर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई स्थानों पर अपने ट्रैक्टर खड़े किए. दोआबा किसान समिति के प्रदेश अध्यक्ष जंगवीर सिंह चौहान के नेतृत्व में किसानों ने टांडा के बिजली घर चौक पर भी अपने ट्रैक्टर सड़क पर खड़े कर दिए.
चौहान ने एक सभा को संबोधित करते हुए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की नीतियों की आलोचना की और उन्हें "किसान विरोधी" बताया. भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), बीकेयू (कादियान), बीकेयू (एकता उगराहां) जैसे कई अन्य कृषि संगठनों के सदस्यों ने भी प्रदर्शन किया और होशियारपुर-फगवाड़ा रोड, नसराला-तारागढ़ रोड, दोसरका-फतेहपुर रोड, बुल्लोवाल-एलोवाल रोड और भूंगा-हरियाणा रोड पर अपने ट्रैक्टर खड़े किए.
मांगों पर अड़े किसान
प्रदर्शनकारियों ने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों के लिए पेंशन की भी मांग की.
अमृतसर में, किसानों ने अजनाला, जंडियाला गुरु, रय्या और ब्यास में राजमार्गों के किनारे अपने वाहन खड़े किए. लुधियाना में, एसकेएम से जुड़े किसानों ने डब्ल्यूटीओ के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए लुधियाना-चंडीगढ़ रोड पर राजमार्ग के किनारे अपने ट्रैक्टर खड़े किए.
हरियाणा के हिसार में किसानों ने राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर 50 स्थानों पर अपने ट्रैक्टर खड़े करके विरोध प्रदर्शन किया. अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के प्रदेश उपाध्यक्ष शमशेर सिंह नंबरदार ने कहा कि प्रदर्शन सुरेवाला चौक, मय्यर टोल, चौधरीवास, बगला मोड़, बदोपट्टी और बास टोल सहित विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए गए.