Farmers Protest: किसान संगठनों और सरकार के बीच आज नहीं होगी छठे दौर की वार्ता, 30 दिसंबर को इन मुद्दों पर होगी बात
सोमवार को सरकार ने किसानों को पत्र लिखकर, उन्हें 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे बातचीत के लिए आमंत्रित किया.
नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली (Delhi) के बाहरी इलाके में किसानों का आंदोलन मंगलवार को 34 वें दिन प्रवेश कर गया है. मंगलवार को किसानों की सरकार से छठे दौर वार्ता होने वाली थी. हालांकि, सोमवार को सरकार ने किसानों को पत्र लिखकर, उन्हें 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे बातचीत के लिए आमंत्रित किया. इससे पहले छठे दौर की यह वार्ता 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे होनी थी. कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने किसानों को पत्र लिखकर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. अग्रवाल ने पत्र में लिखा, अनुरोध है कि 30 दिसंबर 2020 को दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में केंद्रीय मंत्री स्तरीय समिति के साथ सर्वमान्य समाधान हेतु बैठक में हिस्सा लें.
केंद्र सरकार की ओर से लिखे गए पत्र में सुनिश्चित किया गया है कि बैठक में तीन कृषि कानूनों और एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अध्यादेश, 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. Farmers Protest: किसानों के आंदोलन को लेकर सियासी पारा गरमाया, नरेंद्र सिंह तोमर ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और शरद पवार को लेकर कही ये बड़ी बात.
इस पहले सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पुलिस को कार्रवाई करने का निर्देश दिए क्योंकि किसानों द्वारा कथित रूप से पंजाब (Punjab) में 1500 से अधिक मोबाइल टावर को तोड़ा है. सूबे में मोबाइल टावरों को नुकसान पहुंचाया गया है. इसे लेकर सीएम अब एक्शन मोड़ में नजर आ रहे हैं. उन्होंने कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
वहीं सोमवार को प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. प्रियंका गांधी ने कहा, सरकार को किसानों की आवाज सुननी चाहिए. ये कहना कि ये राजनीतिक साजिश है ये एकदम गलत है. जिस तरह के शब्द ये किसानों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं ये पाप है. किसानों से बात करनी चाहिए और कानून वापस लेने चाहिए.
बता दें कि सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक 6 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन फिलहाल कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है. ऐसे में 30 दिसबंर को होने वाली बातचीत से सकारात्मक उम्मीदें जताई जा रही हैं. किसान संगठन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग लेकर पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं.