Wheat Export Ban: भारत के एक्शन से दुनियाभर में गहराएगा खाद्यान्न संकट? जानें क्यों बने ऐसे हालात
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: PTI)

नई दिल्ली: भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर (Wheat Export Ban) तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. केंद्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है, जब दुनिया भर में गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं. भारत सरकार के फैसले की G-7 देशों के समूह ने आलोचना की है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से जब कई देशों में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो रहा है ऐसे में भारत का यह फैसला कई देशों पर भारी पड़ सकता है. भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से लगाई रोक, बढ़ती कीमतों के बाद लिया ये फैसला.

हालांकि केंद्र ने यह फैसला केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर लगातार बढ़ती गेहूं की कीमतों को संभालने के लिए लिया है. डीजीएफटी की अधिसूचना में कहा गया कि सभी तरह के गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा रही है. देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है.

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद सरकार ने शनिवार को कहा कि उसके पास पर्याप्त खाद्य भंडार है, खाद्य सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है. भारत सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा, इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट बढ़ेगा. हम भारत से G20 सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने का आह्वान करते हैं.

कई देशों में गहरा सकता है खाद्यान्न संकट

रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते गेहूं के निर्यात में बड़ी गिरावट आई है क्योंकि ये दोनों देश दुनिया के सबसे बड़े खाद्यान निर्यातक है. यूक्रेन और रूस से आपूर्ति प्रभावित होने के बाद भारत से गेहूं की मांग बढ़ गई है. ऐसे में भारत का यह फैसला कई देशों के लिए भारी पद सकता है.

जी-7 शिखर सम्मेलन में उठाया जाएगा मुद्दा

जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा कि इस मुद्दे को अगले महीने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान उठाया जाएगा, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. उन्होंने कहा, "भारत के इस फैसले का बांग्लादेश और नेपाल जैसे उन देशों को प्रभाव पड़ेगा जिन्हें इसकी तत्काल आवश्यकता है.

इन परिस्थितियों में मिलेगी मंजूरी

डीजीएफटी ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी.

क्यों बने ऐसे हालात

इसका सबसे बड़ा कारण है रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमत बढ़ गई है. दरअसल रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक हैं. नतीजा यह हुआ कि इससे गेहूं के दामों में इजाफा हुआ. दाम बढ़े तो सरकारी मंडी की जगह व्यापारियों ने किसानों का गेहूं ज्यादा खरीद लिया. इस कारण सरकारी गोदाम में गेहूं का स्टॉक पांच साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.