EPFO: नौकरीपेशा से लेकर पेंशनभोगियों तक को दिवाली तोहफा, ईपीएफ बोर्ड की बैठक में कई ऐतिहासिक फैसले
EPFO 238th CBT Meeting

नई दिल्ली में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 13 अक्टूबर, मंगलवार को केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी), ईपीएफ की 238वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में उपाध्यक्ष शोभा करंदलाजे, सह-उपाध्यक्ष वंदना गुरनानी, सचिव श्रम एवं रोजगार और केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त रमेश कृष्णमूर्ति सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

इस बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्यों और पेंशनभोगियों के लिए सीधे लाभ देने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. डॉ. मांडविया की अध्यक्षता में बोर्ड ने आंशिक निकासी, पेंशन सुविधा, डिजिटल सेवाओं, निवेश प्रबंधन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार और नई पहलों की मंजूरी दी.

बोर्ड द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णयों में शामिल हैं.

ईपीएफ आंशिक निकासी के नियम हुए सरल और सुविधाजनक

सीबीटी ने ईपीएफ की 13 जटिल आंशिक निकासी नियमों को सरल करके तीन हिस्सों में बांट दिया है – जरूरी आवश्यकताएँ (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास आवश्यकताएँ, और विशेष परिस्थितियाँ. अब सदस्य कर्मचारी और नियोक्ता हिस्से सहित 100% तक पैसा निकाल सकते हैं. शिक्षा के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार निकासी की अनुमति दी गई है. आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि केवल 12 महीने कर दी गई है.

विशेष परिस्थितियों में किसी कारण का प्रमाण देने की जरूरत नहीं है. खाते में कम से कम 25% राशि हमेशा बनी रहेगी, ताकि सेवानिवृत्ति फंड सुरक्षित रहे. आंशिक निकासी अब कागजी कार्रवाई के बिना 100% ऑटो निपटान के साथ संभव हो जाएगी. साथ ही, समयपूर्व अंतिम निपटान 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने और अंतिम पेंशन निकासी 36 महीने कर दी गई है.

यह बदलाव सदस्यों के लिए निकासी प्रक्रिया को आसान, तेज और पूरी तरह पारदर्शी बनाता है, जिससे उनके पैसे सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से उपलब्ध होंगे.

विश्वास योजना’ से कानूनी विवादों में होगी कमी

ईपीएफओ ने कानूनी विवादों को कम करने और बकाया राशि की तेजी से वसूली सुनिश्चित करने के लिए ‘विश्वास योजना’ शुरू की है. मई 2025 तक ईपीएफओ पर बकाया राशि लगभग 2,406 करोड़ रुपये थी और 6,000 से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित थे. इस योजना के तहत बकाया राशि पर लागू ब्याज दर को 1% प्रति माह तय किया गया है, जबकि दो महीने की देरी पर 0.25% और चार महीने की देरी पर 0.50% की श्रेणीबद्ध दर रखी गई है. योजना छह महीने तक लागू होगी और जरूरत पड़ने पर बढ़ाई जा सकती है.

इस बदलाव से नियोक्ताओं को कानूनी विवादों और प्रशासनिक खर्च कम करने में मदद मिलेगी, जबकि सदस्यों को बकाया राशि की शीघ्र वसूली होगी, जिससे उनका धन समय पर वापस आएगा और इसे पुनर्निवेश (Reinvestment) करके बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकेगा. कुल मिलाकर यह कदम ईपीएफओ प्रणाली में विश्वास बढ़ाने, प्रक्रिया को सरल बनाने और सभी पक्षों के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

घर-घर डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र

ईपीएफओ ने पेंशनभोगियों के लिए घर-घर डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (DLC) सुविधा शुरू की है. अब पेंशनभोगी इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के जरिए घर बैठे अपने जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं इस सेवा की लागत 50 रुपये प्रति प्रमाण पत्र होगी, जिसका पूरा खर्च ईपीएफओ उठाएगा. इस पहल से पेंशनभोगियों, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनभोगियों को आईपीपीबी के विशाल डाक नेटवर्क के माध्यम से घर बैठे अपना जीवन प्रमाण पत्र निःशुल्क जमा करने की सुविधा मिलेगी.

ईपीएफओ डिजिटल सुधार और 3.0 ढांचा

ईपीएफओ 3.0 के तहत, केंद्रीय बोर्ड ने भविष्य निधि सेवाओं को आधुनिक और सदस्य-केंद्रित बनाने के लिए व्यापक डिजिटल परिवर्तन ढांचा मंजूर किया है. इस ढांचे में हाइब्रिड खाता प्रबंधन, ईआरपी (ERP), अनुपालन मॉड्यूल और एकीकृत ग्राहक अनुभव शामिल हैं. इसे क्लाउड-नेटिव, एपीआई-प्रथम और माइक्रो सेवा आधारित कोर बैंकिंग समाधान के साथ जोड़ा गया है, जिससे सभी सेवाएँ सुरक्षित और तेज होंगी.

ईपीएफओ की नई डिजिटल पहल से सदस्य अब तेज़ और स्वचालित दावा निपटान, तुरंत निकासी और पेरोल-लिंक्ड योगदान जैसी सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे, जिससे उनके पैसे का प्रबंधन आसान, सुरक्षित और पारदर्शी होगा और 30 करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए भरोसेमंद डिजिटल सेवा सुनिश्चित होगी.

निवेश पोर्टफोलियो प्रबंधन

केंद्रीय बोर्ड ने चार फंड मैनेजरों का चयन किया है, जो अगले पांच वर्षों तक ईपीएफओ के निवेश पोर्टफोलियो का प्रबंधन करेंगे. यह कदम सदस्यों की भविष्य निधि बचत पर बेहतर और स्थिर रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. चयनित फंड मैनेजर पोर्टफोलियो को सही  तरीके से प्रबंधित करेंगे, जिससे जोखिम नियंत्रित रहेगा और निवेश में विविधीकरण सुनिश्चित होगा. इसका मतलब है कि ईपीएफओ के पास निवेश के विभिन्न विकल्प होंगे, जिससे बाजार की उतार-चढ़ाव से बचाव होगा और सदस्य अपनी बचत पर अधिक भरोसेमंद लाभ प्राप्त कर सकेंगे.

यह निर्णय ईपीएफओ के दीर्घकालिक निवेश लक्ष्यों को पूरा करने, वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और सदस्यों के भविष्य निधि लाभ को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

नए डिजिटल मॉड्यूल और सुधार

ईपीएफओ ने अपने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को और बेहतर बनाने के लिए कई नई पहलें शुरू की हैं. नए पुनः इन्जीनियर्ड रिटर्न फाइलिंग मॉड्यूल से ईसीआर अपलोड, वेलिडेशन, चालान जनरेट और भुगतान की प्रक्रिया अब बहुत आसान और तेज़ हो गई है, जिससे नियोक्ताओं के लिए योगदान करना सरल हो गया है. पुनर्गठित उपयोगकर्ता प्रबंधन मॉड्यूल अब बेहतर प्रमाणीकरण और आसान इंटरफ़ेस देता है, जिससे अधिकारी और कर्मचारी सिस्टम में आसानी से काम कर सकते हैं.

ई-ऑफिस का वर्शन 7 अपडेट फ़ाइल प्रोसेसिंग, दस्तावेज़ प्रबंधन और ट्रैकिंग को तेज़ और पारदर्शी बनाता है, जिससे निर्णय लेने में आसानी होती है. इसके साथ ही, स्पैरो (APAR) सिस्टम के माध्यम से अधिकारियों के वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन को पूरी तरह कागज रहित और पारदर्शी बनाया गया है, जिससे प्रशासनिक दक्षता और जवाबदेही बढ़ी है. इन सुधारों के चलते ईपीएफओ की सेवाएँ अब अधिक सुरक्षित, तेज़ और सदस्य-केंद्रित हो गई हैं, जिससे सभी सदस्यों को बेहतर और भरोसेमंद अनुभव मिलेगा.

प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना

15 अगस्त 2025 को शुरू हुई प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY) के तहत जुलाई 2025 से जुलाई 2027 तक कुल 3.5 करोड़ रोजगार सृजित किए जाएंगे. इसी योजना के अंतर्गत अगस्त 2025 में 79,098 प्रतिष्ठानों और लगभग 6 लाख नए कर्मचारियों को लाभ मिला. इसके अलावा, 1 अगस्त 2025 से 16.78 लाख से अधिक कर्मचारियों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) आवंटित किए गए, जिससे उन्हें ईपीएफओ से जुड़े लाभ और सुविधाएँ सीधे प्राप्त करने में आसानी होगी.

भारत को सामाजिक सुरक्षा में अंतरराष्ट्रीय मान्यता

भारत को अब अपनी 64.3% आबादी तक सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला, जो 2015 में केवल 19% थी. इस उपलब्धि के साथ ईपीएफओ अब अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) का सदस्य बन गया है, जिससे भारत वैश्विक मंच पर अपने अनुभव साझा कर सकता है और सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख सकता है. साथ ही, भारत-यूके डीसीसी समझौते के तहत अल्पकालिक प्रतिनियुक्त कर्मचारियों (Short Term Deputation Staff) को दोनों देशों में पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन करने की सुविधा मिली है, जिससे कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए लागत कम और प्रक्रियाएँ आसान हो गई हैं.

ईपीएफओ में डिजिटल सुधार और बेहतर सेवाएँ

ईपीएफओ की 238वीं सीबीटी बैठक में सदस्यों और पेंशनभोगियों के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की गई हैं, जो उनकी सेवाओं को आसान, तेज़ और पारदर्शी बनाती हैं. अब सदस्य पासबुक लाइट और उमंग (UMANG) ऐप के माध्यम से घर बैठे ही अपनी जानकारी और सेवाओं तक आसानी से पहुँच सकते हैं. जुलाई 2025 तक सभी सदस्यों के खातों में 8.25% वार्षिक ब्याज पहले ही क्रेडिट किया जा चुका है, जिससे उनकी बचत पर लाभ सुनिश्चित होता है. नए क्षेत्रीय और जोनल कार्यालयों के निर्माण से सदस्य सीधे सेवाओं के करीब होंगे और उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से होगा.

बैठक में आंशिक निकासी नियमों को सरल बनाया गया, ताकि सदस्य अपनी जरूरत के अनुसार बिना जटिल प्रक्रिया के पैसे निकाल सकें. मुकदमेबाजी कम करने के लिए ‘विश्वास योजना’ लागू की गई, जिससे कानूनी झमेलों और खर्च में कमी आएगी. पेंशनभोगियों के लिए घर-घर डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की सुविधा शुरू की गई है, जिससे ग्रामीण और दूरदराज के लोग भी आसानी से पेंशन प्राप्त कर सकेंगे.

साथ ही, ईपीएफओ के निवेश पोर्टफोलियो का प्रबंधन सुधारकर रिटर्न बेहतर करने की पहल की गई है, जिससे सदस्यों की भविष्य निधि सुरक्षित और लाभकारी रहेगी. ये सभी कदम ईपीएफओ की सेवाओं को सुरक्षित, तकनीकी-संचालित और भरोसेमंद बनाते हैं, साथ ही सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने में भी मदद करेंगे.