कोलकाता, 13 सितम्बर : कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में 43,000 सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों को 60,000 करोड़ रुपये का दान देने की सशर्त मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार को सामुदायिक पूजा समितियों को 60,000 करोड़ रुपये का दान देने से रोकने के लिए कई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) में याचिकाओं को खारिज करते हुए, कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने छह शर्तें लगाईं है.
हालांकि, जब आदेश पारित किया गया, तो पीठ ने लगाई उन छह शर्तों के बारे में नहीं बताया. इसके बजाय, संबंधित पक्षों को कलकत्ता हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जाने के बाद आदेश की पूरी कॉपी की जांच करने की सलाह दी. 22 अगस्त को, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 43,000 सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों को 60,000 करोड़ रुपये देने की घोषणा की, जिससे राज्य के खजाने पर 258 करोड़ रुपये का दबाव पड़ेगा. इसके अलावा, उन्होंने इन सामुदायिक पूजा समितियों के बिजली बिलों पर 60 प्रतिशत सब्सिडी देने की भी घोषणा की. यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी मामले में अदालत का फैसला उपासना स्थल कानून का स्पष्ट उल्लंघन: माकपा
उक्त खंडपीठ में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य सरकार जब राज्य सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के बकाया का भुगतान करने में असमर्थ है, तो वह सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों को करोड़ों का दान कैसे दे सकती है. राज्य के महाधिवक्ता एस.एन. मुखोपाध्याय ने तर्क दिया कि पूरा खर्च सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है, क्योंकि राज्य सरकार का उद्देश्य राज्य की समृद्ध विरासत की रक्षा और प्रचार करना है. दुर्गा पूजा समृद्ध विरासत का एक हिस्सा है. मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आखिरकार मंगलवार सुबह राज्य सरकार को पूजा समितियों को अनुदान देने की सशर्त सहमति दे दी.