Diwali 2025 : त्योहारों के इस मौसम में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को सोना $4,000 प्रति औंस (लगभग 12,200 रुपये प्रति 10 ग्राम 24 कैरेट) के स्तर के नीचे स्थिर रहा. यह लगातार आठवां सप्ताह था जब सोने के दामों में बढ़त का रुख बना हुआ है. भारत में दिवाली को सोना खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इस साल कीमतों में तेज़ उछाल के कारण लोगों की खरीदारी की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है.
साल 2025 में अब तक सोने ने करीब 52% का रिटर्न दिया है, जिससे यह निवेशकों के लिए फिर से एक सुरक्षित निवेश विकल्प (Safe Haven) बन गया है.
क्यों बढ़ रहीं हैं सोने की कीमतें?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती, वैश्विक व्यापार पर बढ़ती टैरिफ चिंताएं और भू-राजनीतिक अस्थिरता (Geopolitical Uncertainty) जैसी स्थितियों के कारण निवेशक एक बार फिर सोने की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे माहौल में सोना एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह बाजार की अनिश्चितता के दौर में भी स्थिर और भरोसेमंद रिटर्न प्रदान करता है.
डिजिटल गोल्ड है आसान और सुरक्षित ऑनलाइन निवेश
डिजिटल गोल्ड के माध्यम से आप अब ऑनलाइन सोना आसानी से खरीद, बेच और स्टोर कर सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे 1 रुपये से भी खरीदा जा सकता है, जिससे छोटे निवेशक भी आसानी से शुरुआत कर सकते हैं. इसमें निवेश करने पर आपको 24 कैरेट शुद्ध सोना मिलता है, जिसकी कीमत रियल टाइम में तय होती है. डिजिटल सोना खरीदने के कई तरीके हैं, जिनमें मोबाइल वॉलेट, बैंकिंग ऐप और ज्वैलर वेबसाइट शामिल हैं. डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का एक और लोकप्रिय विकल्प गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) है, जिससे निवेशक बिना फिजिकल डिलीवरी के भी सोने में निवेश कर सकते हैं.
डिजिटल गोल्ड में भौतिक स्टोरेज की कोई चिंता नहीं होती, और इसे कभी भी बेचकर तुरंत नकदी प्राप्त की जा सकती है. इस पर 3% जीएसटी (GST) लागू होता है, जो फिजिकल गोल्ड जितना ही है.
डिजिटल गोल्ड पर टैक्स नियम
यदि आप डिजिटल गोल्ड को 12 महीने के भीतर बेचते हैं, तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा और इस पर आपकी आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. यदि आप इसे 12 महीने या उससे अधिक समय तक रखते हैं, तो लाभ पर 12.5% टैक्स लागू होगा.
इसके अलावा, निवेशक गोल्ड ईटीएफ के जरिए बिना फिजिकल गोल्ड लिए भी सोने में निवेश कर सकते हैं, और बाजार में आसानी से लिक्विडिटी का लाभ उठा सकते हैं.
फिजिकल गोल्ड है पारंपरिक और सांस्कृतिक निवेश
फिजिकल गोल्ड यानी सोने के सिक्के, बार या ज्वेलरी भारतीय निवेशकों के बीच हमेशा से सबसे लोकप्रिय विकल्प रहा है. यह न केवल वित्तीय संपत्ति है, बल्कि भारतीय समाज में सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व भी रखता है. हालांकि, इसमें कुछ अतिरिक्त खर्च भी जुड़े होते हैं, जैसे:
- खरीद पर 3% जीएसटी लागू होता है.
- ज्वेलरी खरीदते समय मेकिंग चार्जेज (10% से 20%) भी देने पड़ते हैं.
इन खर्चों की वजह से फिजिकल गोल्ड की वास्तविक कीमत निवेश के लिहाज से थोड़ी महंगी पड़ती है, इसलिए कम अवधि के निवेश के लिए यह उतना फायदेमंद नहीं माना जाता है. फिजिकल गोल्ड को घर या बैंक लॉकर में रखा जा सकता है, लेकिन इसकी सुरक्षा और मेंटेनेंस पर खर्च डिजिटल गोल्ड की तुलना में अधिक होता है.
2025 में सोने की तेज़ बढ़त ने निवेशकों का ध्यान इस बहुमूल्य धातु की ओर एक बार फिर खींचा है. दिवाली जैसे शुभ अवसर पर जहां सोना खरीदना परंपरा है, वहीं डिजिटल गोल्ड जैसे आधुनिक विकल्प निवेश को सुविधाजनक और सुरक्षित बना रहे हैं.
जो लोग लंबी अवधि के निवेश के लिए सोच रहे हैं, उनके लिए डिजिटल गोल्ड या गोल्ड ईटीएफ बेहतर विकल्प हो सकते हैं, जबकि सांस्कृतिक और व्यक्तिगत उपयोग के लिए फिजिकल गोल्ड अब भी भारतीय परिवारों की पहली पसंद बना हुआ है.













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