Digital Arrest Scam: बेंगलुरु में डिजिटल अरेस्ट में 11 लाख गंवाकर शख्स ने की आत्महत्या, ऐसे बचें ठगों के जाल से
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बेंगलुरु के चन्नपटना तालुक के केलेगरे गांव में रहने वाले कुमार के नाम के 48 वर्षीय व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली. वह BESCOM (Bangalore Electricity Supply Company) में कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत थे. मंगलवार सुबह उनका शव घर के पास एक पेड़ से लटका हुआ पाया गया. पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उन्होंने अपनी खराब सेहत और साइबर ठगों की मानसिक प्रताड़ना को आत्महत्या का कारण बताया.

Digital Arrest Scam: 'डिजिटल अरेस्ट' क्या है? जानिए इस नए ऑनलाइन स्कैम से खुद को कैसे बचाएं.

पुलिस के मुताबिक, कुमार को एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने विक्रम गोस्वामी नाम बताकर खुद को CBI अधिकारी बताया. उस व्यक्ति ने कहा कि कुमार पर एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और उन्हें "डिजिटल अरेस्ट" किया जाएगा. डर और भ्रम की स्थिति में कुमार ने पहले 1.95 लाख रुपये ठगों को दे दिए.

लेकिन यहीं बात नहीं रुकी. फोन करने वाला ठग लगातार पैसे मांगता रहा. जिसके बाद कुमार ने कुल 11 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए. इस पूरे प्रकरण ने उन्हें इस हद तक मानसिक रूप से तोड़ दिया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली.

क्या होता है 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक नया साइबर अपराध है जिसमें ठग खुद को सरकारी अधिकारी, पुलिस या जांच एजेंसी का सदस्य बताकर व्यक्ति को धमकाते हैं. वे कहते हैं कि पीड़ित पर केस दर्ज है और उसे गिरफ्तार किया जाएगा. इस दौरान उन्हें लगातार धमकियां दी जाती हैं कि अगर उन्होंने किसी को बताया या कॉल काटा तो उनकी गिरफ्तारी हो जाएगी. इस मानसिक दबाव के चलते पीड़ित अक्सर ठगों के कहे अनुसार पैसा ट्रांसफर कर देते हैं.

पुलिस कर रही जांच

कुमार अपने पीछे पत्नी और 8 साल के बेटे को छोड़ गए हैं. मामले की जांच एमके डोड्डी पुलिस कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी से ही पूरी सच्चाई सामने आएगी.

ऐसे साइबर ठगों से कैसे बचें?

  • कभी भी अनजान कॉलर्स से डरें नहीं, चाहे वे खुद को CBI या पुलिस ही क्यों न बताएं.
  • कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर गिरफ्तारी की धमकी नहीं देती और न ही पैसों की मांग करती है.
  • ऐसे मामलों में तुरंत 1930 या साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत करें.
  • अगर कोई वीडियो कॉल पर बनाए रखे या अलग-थलग करने की कोशिश करे तो तुरंत मदद मांगें.

यह मामला एक चेतावनी है कि कैसे डिजिटल धोखाधड़ी मानसिक और आर्थिक दोनों स्तर पर जानलेवा साबित हो सकती है. इस घातक स्कैम को पहचानिए, सतर्क रहिए और दूसरों को भी सतर्क कीजिए.

डिस्क्लेमर: अगर आप या आपका कोई प्रिय व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहा है, तो मदद लेना न भूलें. आत्महत्या रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर: टेली मानस (स्वास्थ्य मंत्रालय) – 14416 या 1800 891 4416; निमहंस – + 91 80 26995000 /5100 /5200 /5300 /5400; पीक माइंड – 080-456 87786; वंद्रेवाला फाउंडेशन – 9999 666 555; अर्पिता आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन – 080-23655557; आईकॉल – 022-25521111 और 9152987821; सीओओजे मानसिक स्वास्थ्य फाउंडेशन (सीओओजे) – 0832-2252525.