नोटबंदी के दो साल: आरबीआई ने काला धन और नकली नोट खत्म करने के तर्क पर नहीं दी थी सहमति
आरबीआई (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: नोटबंदी को लेकर विरोधी पार्टियां मोदी सरकार को हर कदम पर घेरने की कोशिश कर रही है. इस बीच नोटबंदी को दो साल पूरा होने पर कई अहम खुलासे सामने आ रहे हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की माने तो सरकार ने नोटबंदी लागू करने के लिए काला धन और नकली नोट खत्म करने का हवाला दिया था. लेकिन आरबीआई ने सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए इसे नकार दिया था.

बता दें कि नोटबंदी की घोषणा पीएम मोदी ने भारतीय टेलीविजन (टीवी) पर की थी. इस घोषणा से ठीक चार घंटे पहले आरबीआई ने नोटबंदी को हरी झंडी दी थी. इसके पहले सरकार ने आरबीआई के सामने दो तर्क रखा था. जिसमें सरकार का कहना था कि नोट बंदी से काला धन और नकली नोट को खत्म किया जा सकता है. लेकिन आरबीआई ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया था. यह भी पढ़े: नोटबंदी: देश की जनता PM नरेंद्र मोदी को सजा देने का इंतजार कर रहे

8 नवंबर 2016 की शाम साढ़े पांच बजे सेंट्रल बोर्ड की एक बैठक बुलाई गई

नोटबंदी के बारे में जो खुलासा हुआ है उसके मुताबिक आरबीआई की 561वीं बैठक में नोटबंदी पर मुहर लगाई गई थी. लेकिन अचानक से 8 नवंबर 2016 की शाम साढ़े पांच बजे सेंट्रल बोर्ड की एक बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार के कदम की तारीफ की गई थी. लेकिन आरबीआई ने नोटबंदी को लेकर सरकार के फैसले को चेतावनी देते हुए कहा था कि सरकार के इस फैसले से जीडीपी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. यह भी पढ़े: जनधन योजना मोदी सरकार का जुमला, कालेधन को इन खातों के जरिए सफेद करवाने की थी तरकीब: पी. चिदंबरम

नोट बंदी को लेकर 7 नवंबर 2016 को RBI डायरेक्टर्स को एक प्रस्तवा भेजा गया

नोटबंदी को लेकर 7 नवंबर 2016 को आरबीआई के डायरेक्टर्स को एक प्रस्तवा भेजा गया था. सरकार की तरफ से प्रस्ताव मिलने के बाद डायरेक्टर्स ने सरकार के इस तर्क को नहीं माना था कि नोटबंदी से काला धन और नकली नोट पर लगाम लगेगी. वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर आरबीआई के डायरेक्टर्स का कहना था कि सरकार भले ही सोच रही है कि नोट बंदी से काला धन और नकली नोट पर लगाम लगेगा. जो ऐसा नहीं होने वाला है. क्योंकि ज़्यादातर लोग काले धन का इस्तेमाल रीयल स्टेट और सोने की खरीद में किया है न की कैश में, इसलिए सरकार के फैसले से ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा. यह भी पढ़े: नोटबंदी की दूसरी सालगिरह: जानें PM मोदी के इतने बड़े फैसले से देश को क्या मिला, कहां-कहां हुआ असर

वहीं इससे पहले गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के समर्थन में एक ब्लॉग लिखा था. जिसमें उन्होंने लिखा है कि 'नोटबंदी को लेकर लोग ये कहते हुए आलोचना कर रहे हैं कि लगभग सारा कैश बैंकों में वापस आ गया. लेकिन नोटबंदी के सहारे हमारा मकसद सिर्फ कैश को ज़ब्त करना नहीं था. हम चाह रहे थे कि लोग टैक्स के दायरे में आए. हमें कैशलेस इकॉनमी से डिजिटल लेन-देन की दुनिया में आना था. नोटबंदी से ज़्यादा टैक्स रेवेन्यू जमा करने और टैक्स बेस को बढ़ाने में मदद मिल रही है. इसलिए लोग नोटबंदी को लेकर सरकार के फैसले को गलत ना बताएं