HC On Loan Default: हर लोन डिफॉल्ट के लिए LOC जरुरी नहीं, इसके चलते किसी को फ्लाइट में चढ़ने से नहीं रोक सकते, हाईकोर्ट की टिप्पणी
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दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि (लुक आउट सर्कुलर) LOC जारी करने के लिए, परिस्थितियों की उच्च गंभीरता और देश पर लोन डिफ़ॉल्ट (Loan Default) का बड़ा प्रभाव प्रकट होना चाहिए. न्यायमूर्ति प्रथिबा एम सिंह ने कहा कि नागरिकों को केवल किसी व्यवसाय में भागीदारी के कारण परेशान नहीं किया जाना चाहिए और यात्रा करने की उनकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि एलओसी जारी करने की आवश्यकता केवल तभी हो सकती है जब व्यक्तियों का आचरण समग्र रूप से सार्वजनिक हित को प्रभावित करता है या अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. HC on Swiggy, Zomato Food: स्विगी, जोमैटो से ऑर्डर करने के बजाय बच्चों को मां के हाथ के बना खाना दें

न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि सार्वजनिक धन की बर्बादी, बैंकों से लिए गए ऋणों की हेराफेरी, जमाकर्ताओं को धोखा देना और हवाला लेनदेन में लिप्त होना ऐसे आचरण के कुछ उदाहरण हैं जिनका समग्र रूप से अधिक प्रभाव हो सकता है जो एलओसी जारी करने को उचित ठहरा सकता है.

फैसले में कहा गया, "हालांकि, बैंक ऋण चूक या व्यवसाय के लिए ली गई क्रेडिट सुविधाओं आदि के प्रत्येक मामले में एलओसी जारी करने का सहारा नहीं लिया जा सकता है."

आयकर विभाग (IT विभाग) के आदेश पर उसके खिलाफ जारी एलओसी को रद्द करने के लिए एक व्यवसायी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणियां कीं. 18 जनवरी, 2019 को उन्हें इसी LOC के कारण दिल्ली से दुबई की फ्लाइट में चढ़ते समय रोक दिया गया था. न्यायालय ने पाया कि वह केवल 34 वर्ष का था और उसकी यात्रा पर प्रतिबंध से उसके करियर और व्यक्तिगत जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था.

न्यायालय ने आगे कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जो देश के आर्थिक हित के लिए हानिकारक होगा, क्योंकि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि याचिकाकर्ता ने किसी भी सार्वजनिक धन की हेराफेरी की है.