Delhi: बड़ी संख्या में जमा हुए किसान, निकालेंगे संसद मार्च
दिल्ली के गुरुद्वारा बंगलासाहिब के पास जमा इन किसानों के मुताबिक केंद्र की ओर से दिए हुए आश्वासन अब तक पूरे नहीं हुए, इसलिए बजट सत्र के दूसरे चरण में ये एक बार फिर प्रदर्शन के लिए पहुंचे हैं. किसानों ने कहा कि ये सोमवार को संसद भवन तक मार्च करते हुए प्रधानमन्त्री कार्यालय जाकर अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपेंगे.
नई दिल्ली, 13 मार्च: पंजाब (Punjab) के 5 किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर सोमवार को एक बार संसद मार्ग पर पहुंच गए हैं. ये किसान अपनी मांगों को लेकर पीएम कार्यालय में ज्ञापन देंगे और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे. दिल्ली के गुरुद्वारा बंगलासाहिब के पास जमा इन किसानों के मुताबिक केंद्र की ओर से दिए हुए आश्वासन अब तक पूरे नहीं हुए, इसलिए बजट सत्र के दूसरे चरण में ये एक बार फिर प्रदर्शन के लिए पहुंचे हैं. किसानों ने कहा कि ये सोमवार को संसद भवन तक मार्च करते हुए प्रधानमन्त्री कार्यालय जाकर अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपेंगे. इसके बाद जंतर-मंतर पर एक सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे. यह भी पढ़ें: Delhi Liquor Scam: ED की रडार पर KCR की बेटी कविता, 9 घंटे की पूछताछ के बाद कार्यालय से निकलीं, 16 मार्च को फिर बुलाया
फिलहाल संसद मार्ग पर बड़ी संख्या में किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. वहीं दूसरी ओर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर है, बंगला साहिब गुरुद्वारे पर बड़ी संख्या में रैपिड ऐक्शन फोर्स (आरएएफ) के जवान तैनात किए गए हैं. दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) राजेवाल, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, बीकेयू मनसा और आजाद किसान संघर्ष कमेटी से जुड़े किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को भूलने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 20 मार्च को बड़ी संख्या में किसान दिल्ली में इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ 26 नवंबर 2020 को किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था. लगभग एक साल तक दिल्ली बॉर्डर पर चला था, इस आंदोलन को देखते हुए केंद्र ने तीनों कानूनों को रद्द कर दिया गया था. 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों कानूनों की वापसी का ऐलान किया था. जिसके बाद किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया लेकिन अब किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने अपनाए वादे पूरे नहीं किए.