नई दिल्ली, 21 नवंबर : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए दशकों पुराने डबल मर्डर केस को सुलझाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि ये दोनों भगोड़े 2002 में सरिता विहार में एक महिला और उसकी दो साल की बेटी की बेरहमी से हत्या के बाद से फरार थे. दोनों आरोपियों को आखिरकार सजा मिल गई है. इस वारदात में शामिल आरोपियों में से एक 23 साल से फरार अपराधी था और दूसरा एक सजायाफ्ता हत्यारा था जो 18 साल पहले पैरोल से बाहर निकलने के बाद भाग गया था.
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान बिहार के शिवहर जिले के रहने वाले अमलेश कुमार और सह-आरोपी सुशील कुमार के रूप में हुई है, जिसे पहले ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था. अमलेश, जो 28 जनवरी 2002 की हत्याओं के तुरंत बाद गायब हो गया था, दो दशकों से ज्यादा समय से पकड़ से बाहर था. अमलेश को अपराधी घोषित कर दिया गया था. गुजरात के जामनगर में उसका पता चला, जहां वह नकली पहचान के साथ मजदूर के तौर पर काम कर रहा था. क्राइम ब्रांच की टीमों ने टेक्निकल एनालिसिस और ग्राउंड इंटेलिजेंस के जरिए उसे ट्रैक किया. यह भी पढ़ें : मिशेल बैचलेट को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार देकर कांग्रेस ने भारतीयों का अपमान किया: गौरव भाटिया
पुलिस ने अपने प्रेस नोट में कहा कि उसका पकड़ा जाना एक मजबूत संदेश है कि कानून के लंबे हाथ आखिरकार हर अपराधी तक पहुंचते हैं, चाहे वे कितने भी चुपके से क्यों न छिपे हों."वहीं, एक अन्य आरोपी सुशील कुमार, जिसे हत्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था और 2007 में पैरोल से भाग गया था, को भारत-नेपाल बॉर्डर के पास लालगढ़ गांव से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने कहा कि वह पिछले कुछ सालों में कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में घूमता रहा, और पकड़े जाने से बचने के लिए बार-बार जगह बदलता रहा.
यह हत्या का मामला जनवरी 2002 का है, जब शिकायतकर्ता अनिल कुमार मदनपुर खादर में अपने घर लौटा तो उसने देखा कि घर में तोड़फोड़ हुई थी और उसकी 22 साल की पत्नी अनीता और उनकी दो साल की बेटी मेघा की लाशें किचन में पड़ी थीं, जिन पर चाकू के कई घाव थे.













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