नई दिल्ली: यहां के एक अस्पताल (Hospital) में 13 वर्षीय लड़के की सांस की नली 10 साल से बेहद पतली थी और वह बोल नहीं पा रहा था. डॉक्टरों (Doctors) ने ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब (Tracheostomy Tube) डालकर सात साल बाद उसकी आवाज लौटाई. श्रीकांत (Srikanth) को बचपन में सिर पर चोट लग गई थी और उसे लंबे समय तक वेंटिलेटर (Ventilator) के सहारे पर रखा गया था. लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहने के चलते श्रीकांत की सांस की नली पतली हो गई थी. इसके बाद डॉक्टरों ने सांस लेने के लिए गले में एक छेद करके सांस की नली में ट्रैकियोस्टोमी ट्यूब डाल दी. सिसोदिया का आरोप: असम के सीएम ने कोविड के दौरान अपने परिजनों को पीपीई किट का ठेका दिया
सर गंगा राम अस्पताल में ईएनटी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार मनीष मुंजाल ने कहा, "जब मैंने पहली बार रोगी को देखा तो लगा, यह सांस की नली और वॉयस बॉक्स की बहुत ही मुश्किल सर्जरी होने जा रही है. मैंने अपने 15 वर्षो की प्रैक्टिस में ऐसा केस नहीं देखा था. बच्चे के गले में शत-प्रतिशत ब्लॉकेज था."
अस्पताल ने कहा कि बच्चे ने सात साल में न तो सामान्य रूप से बात की थी और ना ही खाया था.
थोरैसिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष सब्यसाची बल ने कहा कि यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी और इसमें विफलता का उच्च जोखिम रहता है. मौत भी हो सकती थी, लेकिन बच्चे के पास और कोई विकल्प नहीं था और यही बात परिवार को भी बता दी गई थी.
अस्पताल ने कहा, "इस दुर्लभ और जटिल प्रक्रिया को करने के लिए थोरैसिक सर्जरी, ईएनटी और एनेस्थीसिया विभागों के डॉक्टरों की टीमों ने मिलकर साढ़े छह घंटे काम किया. सर्जरी सफल रही, लेकिन चुनौतियां अभी भी थीं. सर्जरी के बाद प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण था."
बाल रोग विभाग के निदेशक डॉ अनिल सचदेव ने बताया कि बच्चे को तीन दिनों तक आईसीयू में गर्दन के बल रखा गया. यही नहीं, उसे कम प्रेशर वाला ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया, ताकि हवा लीक न हो. बच्चे को अब छुट्टी दे दी गई है और उसकी हालत स्थिर है.