Delhi: 6 महीने से कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने वाले एंबुलेंस ड्राइवर आरिफ खान की COVID-19 से मौत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी का कहर जारी है. संकट की इस घड़ी में कई ऐसे लोग हैं जो महामारी से पीड़ित लोगों की जान बचाने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स थे आरिफ खान. कोरोना वॉरियर आरिफ खान दिल्‍ली में फ्री एंबुलेंस सेवा मुहैया कराने वाले शहीद भगत सिंह सेवा दल में काम करते थे. कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने और मरीजों की मौत होने पर शव की सेवा करने वाले आरिफ खान (Aarif Khan) भी कोरोना की चपेट में आ गए. शनिवार को दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में उनकी मौत हो गई.

आरिफ खान दिल्‍ली (Delhi) के सीलमपुर के रहने वाले थे. कोरोना मरीजों की सेवा करने वाले आरिफ पिछले 6 महीने से घर पर सोने तक नहीं गए थे. आरिफ खान 6 महीने पार्किंग क्षेत्र में ही रहे. वे अपने परिवार के साथ फोन के जरिए संपर्क में रहते थे. वे कोरोना मरीजों की मदद के लिए 24 घंटे उपलब्‍ध रहते थे. उन्‍होंने इन छह महीनों में करीब 200 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को अपनी एंबुलेंस से अस्‍पताल पहुंचाया था. इनमें से कुछ मरीजों की मौत के बाद उन्हें अंतिम संस्‍कार के लिए भी लेकर गए थे. शनिवार सुबह कोरोना संक्रमण के कारण उनकी मौत हो गई.

खबरों के मुताबिक, आरिफ खान एक महीने में 16,000 रुपये कमाते थे और परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे. शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा कि भले ही खान मुस्लिम थे, लेकिन वह हिंदुओं के दाह संस्कार में भी मदद करते थे. शहीद भगत सिंह सेवादल की ओर से अपील की गई है कि आप सब दुआ करें कि भाई आरिफ खान की आत्मा को शांति मिले और हमारे बाकी सभी ड्राइवर और कोरोना योद्धाओं को भी सेवा करने की शक्ति मिले.

जानकारी के मुताबिक, 3 अक्‍टूबर को आरिफ की तबीयत खराब हुई थी. उन्‍होंने अपना कोविड टेस्‍ट कराया, जो कि पॉजिटिव आया. आरिफ के 22 साल के बेटे आदिल ने बताया कि उन लोगों ने मार्च से लेकर अब तक बस कभी-कभी ही उन्‍हें देखा था. वह जब भी घर पर कपड़े या कुछ अन्‍य सामान लेने आते थे, बस तभी कुछ समय के लिए वे लोग आरिफ को देख पाते थे. परिवार को हमेशा उनकी चिंता होती थी. 48 वर्षीय एंबुलेंस चालक आरिफ खान ने हिंदू राव अस्पताल में शनिवार सुबह बीमारी के चलते दम तोड़ दिया.