Pinaka Missile: चीन से तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने पिनाका रॉकेट लांचर खरीदने के लिए किया 2580 करोड़ रुपये का समझौता
एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर चीन के साथ तनाव के बीच मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा मंत्रालय ने पिनाका रेजिमेंटों (Pinaka Regiments) की आपूर्ति करने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ 2580 करोड़ रुपये का करारा किया है. रक्षा क्षेत्र में देश की कंपनियों को उन्नत बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
नई दिल्ली: एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर चीन के साथ तनाव के बीच मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने पिनाका रेजिमेंटों (Pinaka Regiments) की आपूर्ति करने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ 2580 करोड़ रुपये का करारा किया है. रक्षा क्षेत्र में देश की कंपनियों को उन्नत बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सोमवार को भारतीय सेना (Indian Army) के आर्टिलरी रेजिमेंट को छह पिनाका रेजिमेंट की आपूर्ति के लिए मैसर्स भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), मैसर्स टाटा पावर कंपनी लिमिटेड (टीपीसीएल) और मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के साथ अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं. इनकी अनुमानित लागत लगभग 2580 करोड़ रुपये है. इन छह पिनाका रेजीमेंट में ऑटोमेटेड गन ऐमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम (एजीएपीएस) के साथ 114 लॉन्चर और 45 कमांड पोस्ट हैं जिन्हें मैसर्स टीपीसीएल और मैसर्स एलएंडटी से खरीदा जायेगा तथा 330 वाहनों को मैसर्स बीईएमएल से खरीदा जाएगा. इन छह पिनाका रेजिमेंटों को हमारे देश की उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर तैनात किया जाएगा, जो हमारे सशस्त्र बलों की ऑपरेशन तैयारियों को और मजबूती प्रदान करेगा.
छह पिनाका रेजीमेंट्स को 2024 तक शामिल करने की योजना है. 70 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ खरीद (भारतीय) वर्गीकरण के तहत इस परियोजना को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा मंजूरी दी गयी है. भारतीय सेना ने पैंगोग झील इलाके में यथास्थिति बदलने के चीन के ताजा प्रयास को विफल किया
पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) को डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है और इसका उत्पादन उपरोक्त रक्षा उद्योगों द्वारा किया जाता है. यह भारत सरकार (डीआरडीओ एवं रक्षा मंत्रालय) के तत्वावधान में सार्वजनिक निजी भागीदारी की एक प्रमुख परियोजना है, जो आधुनिक रक्षा तकनीकों को अपनाने में "आत्मनिर्भरता” को सक्षम बनाती है.