
मुंबई, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में जीबीएस वायरस फैलने से आठ नागरिकों की मौत हो गई है. तो वहीं दूसरी ओर बर्ड फ्लू का भी बड़े पैमाने पर प्रकोप देखने को मिला है. सावधानी के तौर पर प्रशासन ने 7,000 से ज्यादा पक्षियों को मार दिया है. इसके अलावा 2,230 अंडो को नष्ट किया गया है.हेल्थ एक्सपर्ट्स ने एहतियात के तौर पर कुछ दिनों तक चिकन खाने से परहेज करने की सलाह दी है. इसके अलावा बाहर के अनहायजेनिक खान-पान से भी बचने को कहा गया है.बर्ड फ्लू एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, जो ज्यादातर पक्षियों में पाया जाता है.
सभी सात केंद्रों में इन जानवरों और पक्षियों की मौत का कारण H1N5 वायरस स्ट्रेन की पहचान की गई थी. जानवरों की प्रकृति का होने के कारण ऐसे मामले सामने आने पर कड़ी सतर्कता बरती जाती है. भारतीय पशु-पक्षियों में इसका प्रकोप प्रवासी पक्षियों के संपर्क से होता है.अधिकांश मामले जल निकायों के पास के क्षेत्रों से रिपोर्ट किए गए हैं, जहां अक्सर प्रवासी पक्षी आते हैं. लातूर जिले के उदगीर तहसील में इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद 71 कौवों की मौत हो गई थी.ये भी पढ़े:Bird Flu in Latur: लातूर में पक्षियों में फैला बर्ड फ्लू, उदगीर शहर में 50 कौवों की मौत, जांच में सामने आई जानकारी
मुर्गियों और पक्षियों के साथ ही बाघ, तेंदुए को भी हो चूका है संक्रमण
6 फरवरी तक, महाराष्ट्र में लातूर, नांदेड़, नागपुर, ठाणे, रायगढ़ और चंद्रपुर जिलों से बर्ड फ्लू के सात मामले सामने आए हैं. मुर्गियों के अलावा, बाघ, तेंदुए, गिद्ध और कौवे में भी बर्ड फ्लू होने की जानकारी है.अब तक इस फ्लू से 693 मौतें हुई है. जिसमें दो बाघ एक तेंदुए का समावेश है.उन्हें नागपुर के गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था. बर्ड फ्लू के कारण केंद्र में तीन सफेद पीठ वाले गिद्धों की मौत हो गई है.इस बीमारी का ताजा मामला चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी तहसील के मांगली गांव में सामने आया है.
पक्षियों और अंडो को किया गया नष्ट
राज्य पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिस क्षेत्र में पहली घटना हुई, उसके 5 किमी के भीतर के गांवों में 2,065 पक्षी मर गए.ऑपरेशनल प्रोटोकॉल के मुताबिक, जिस क्षेत्र में पहली घटना हुई, उसके 5 किमी के दायरे में सभी पक्षियों, अंडों और जानवरों के चारे को नष्ट करना होता है. चंद्रपुर मामले में 1,165 अंडे और 50 किलोग्राम चारा नष्ट कर दिया गया है.पशुपालन अधिकारियों ने कहा कि संगठित पोल्ट्री फार्मों से एक भी मामला सामने नहीं आया है.पोल्ट्री फार्मों ने जैव सुरक्षा उपाय किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि उनके पक्षी किसी भी प्रवासी पक्षी के संपर्क में न आएं, ताकि किसी भी प्रकोप को रोका जा सके.