भारत की सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उसने जेट एयरवेज़ के लिए लिक्विडेशन (विघटन) का आदेश दिया है. यह फैसला उन बैंकों और अन्य कर्ज़दाताओं की याचिका पर आधारित था, जिन्होंने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें जेट एयरवेज़ के पुनर्निर्माण योजना को मंजूरी दी गई थी और उसकी स्वामित्व परिवर्तन को भी मंजूरी दी गई थी. स्वामित्व अब जेट एयरवेज़ के लिए 'जालन-कलरॉक कंसोर्टियम' (JKC) के पास जा रहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को सुरक्षित किया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायधीश जे.बी. पारदीवाला एवं मनोज मिश्र की बेंच ने इस मामले में अपना फैसला 16 अक्टूबर को सुरक्षित किया था. अब, गुरुवार को यह फैसला सुनाया जाएगा. यह मामला 12 मार्च 2023 को NCLAT के उस फैसले से जुड़ा हुआ है, जिसमें उसने जेट एयरवेज़ के पुनर्निर्माण योजना को मंजूरी दी थी और कंसोर्टियम को एयरलाइन का स्वामित्व देने का आदेश दिया था.
क्या था NCLAT का आदेश?
NCLAT ने मार्च 2023 में यह आदेश दिया था कि जेट एयरवेज़ की स्वामित्व को जालन-कलरॉक कंसोर्टियम को सौंपा जाए. इसके साथ ही, कंसोर्टियम को 90 दिनों के भीतर स्वामित्व का हस्तांतरण पूरा करने का निर्देश भी दिया गया था. साथ ही, NCLAT ने यह भी आदेश दिया था कि कंसोर्टियम द्वारा 150 करोड़ रुपये की जो बैंको गारंटी दी गई थी, उसे कर्ज़दाताओं द्वारा समायोजित किया जाए.
#JetAirways Insolvency | The Supreme Court's order says
✈️ The Performance Bank Guarantee (PBG) of ₹150 Cr could not have been adjusted against the first tranche of payment.
✈️ The #NCLAT allowing adjustment of PBG against the first tranche of payment, acted contrary to… pic.twitter.com/q2KRKBld2f
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18News) November 7, 2024
कर्ज़दाताओं ने दी थी चुनौती
इस फैसले को चुनौती देते हुए, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इन बैंकों का कहना था कि जेट एयरवेज़ के पुनर्निर्माण योजना का पालन नहीं किया गया है और कंसोर्टियम द्वारा वित्तीय जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया गया है. खासतौर पर, कंसोर्टियम पर आरोप था कि उसने 350 करोड़ रुपये की राशि समय सीमा के भीतर जमा नहीं की थी, जो योजना में तय थी.
जालन-कलरॉक कंसोर्टियम का पक्ष
जालन-कलरॉक कंसोर्टियम का कहना था कि पुनर्निर्माण योजना में जिन शर्तों का पालन करने की जिम्मेदारी थी, वे शर्तें कुछ बाहरी कारणों पर निर्भर थीं, जैसे कि सुरक्षा मंजूरी और अन्य प्रशासनिक प्रक्रिया. कंसोर्टियम ने यह भी कहा कि बैंकों द्वारा पुनर्निर्माण योजना में देरी का कारण सिर्फ वे ही नहीं हैं, बल्कि बैंकों की ही शर्तें और अन्य प्रक्रियाएँ भी इसमें शामिल हैं.
कंसोर्टियम का कहना था कि उसने सभी जरूरी वित्तीय कदम उठाए हैं और अब यह बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी शर्तों का पालन करें.
जेट एयरवेज़ का संकट और पुनर्निर्माण प्रक्रिया
जेट एयरवेज़ की हालत 2019 में काफी खराब हो गई थी जब उसे गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा. इसके बाद, एयरलाइन को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू की गई. जेट एयरवेज़ का पुनर्निर्माण जालन-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा किया गया, जो 2021 में इसका सफल बिडर था.
2023 के सितंबर में, जेट एयरवेज़ ने घोषणा की थी कि कंसोर्टियम ने एयरलाइन में 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश किया है, जिससे अब कंसोर्टियम ने पुनर्निर्माण योजना के तहत 350 करोड़ रुपये का पूरा वित्तीय योगदान कर दिया है. एयरलाइन ने यह भी कहा कि वह 2024 से अपनी सेवाओं की शुरुआत करने के लिए तैयार है.
बैंकों की चिंता और भविष्य की दिशा
हालांकि कंसोर्टियम ने अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने का दावा किया है, लेकिन बैंकों की चिंता अभी भी बनी हुई है. बैंकों का कहना है कि कंसोर्टियम ने कई शर्तों का पालन नहीं किया, जिसके कारण एयरलाइन का पुनर्निर्माण असंभव हो सकता है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह देखा जाएगा कि बैंकों और कंसोर्टियम के बीच समाधान कैसे निकलता है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जेट एयरवेज़ के भविष्य और उसकी संभावित पुनः शुरुआत पर निर्णय लिया जाएगा. इसके साथ ही, कर्ज़दाताओं को उम्मीद है कि वे अपनी राशि वसूलने में सक्षम होंगे और एयरलाइन का भविष्य साफ़ होगा.
निष्कर्ष
जेट एयरवेज़ का पुनर्निर्माण प्रक्रिया एक कठिन और जटिल मामला बन गया है. कंसोर्टियम और कर्ज़दाताओं के बीच विवाद ने इसे और भी पेचिदा बना दिया है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है और इसके बाद जेट एयरवेज़ के पुनः संचालन और उसकी वित्तीय स्थिति पर स्पष्टता आ सकती है.