COVID-19: कोरोना के नए वेरिएंट XFG, NB.1.8.1 और LF.7 में दिख रहे ये लक्षण, न करें इगनोर

कोरोना वायरस एक बार फिर धीरे-धीरे लौटता नजर आ रहा है. 2019 से 2022 तक पूरी दुनिया में तबाही मचाने के बाद, अब यह एशियाई देशों में फिर से पांव पसार रहा है. खासकर सिंगापुर और हांगकांग में हाल के हफ्तों में मामलों में तेज बढ़ोतरी देखी गई है.

Representational Image | PTI

COVID-19: कोरोना वायरस एक बार फिर धीरे-धीरे लौटता नजर आ रहा है. 2019 से 2022 तक पूरी दुनिया में तबाही मचाने के बाद, अब यह एशियाई देशों में फिर से पांव पसार रहा है. खासकर सिंगापुर और हांगकांग में हाल के हफ्तों में मामलों में तेज बढ़ोतरी देखी गई है. भारत में भी NB.1.8.1, LF.7, और अब XFG जैसे नए वेरिएंट्स सामने आ रहे हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि कोई बड़ा खतरा नहीं है, फिर भी सतर्क रहना जरूरी है क्योंकि नए लक्षण और संक्रमण के तरीके पहले से अलग हैं.

COVID-19: तकरीबन 15 प्रतिशत बच्चे लॉन्ग-कोविड से पीड़ित, स्टडी में खुलासा.

हालांकि केस बढ़ रहे हैं, फिर भी अधिकांश मरीजों में संक्रमण हल्का ही पाया गया है. अस्पतालों में ICU में भर्ती की संख्या नहीं बढ़ी है, लेकिन OPD (बाह्य रोगी विभाग) में मरीजों की संख्या 3-4 गुना बढ़ गई है. इसका मतलब है कि मामले गंभीर नहीं हैं, लेकिन इलाज की जरूरत जरूर है.

इस बार का नया लक्षण: गले में खराश और आवाज बैठना

इस लहर का सबसे खास और नया लक्षण है ‘हॉर्सनेस’ या आवाज बैठना. पहले की लहरों में जहां स्वाद और गंध का जाना प्रमुख लक्षण था, अब मरीजों को सूखी खांसी, गले में जलन और आवाज बैठने की शिकायत ज्यादा हो रही है. देशभर के डॉक्टर इस लक्षण की पुष्टि कर रहे हैं.

क्या ये वेरिएंट ज्यादा फैलते हैं?

शुरुआती रिपोर्ट्स बताती हैं कि ये वेरिएंट पहले के मुकाबले तेजी से फैलने की क्षमता रखते हैं.

संक्रमण भले ही गंभीर न हो, लेकिन ये वेरिएंट्स तेज़ी से फैलते हैं, खासकर बुजुर्गों, बीमारियों से जूझ रहे लोगों और छोटे बच्चों में खतरा ज्यादा है. वायरस में स्पाइक प्रोटीन में बदलाव, मौसमी असर और लोगों का व्यवहार इसके पीछे मुख्य कारण हैं.

वैक्सीन कितनी असरदार है?

भारत में 95 फीसदी से ज्यादा वयस्कों को वैक्सीन दी जा चुकी है, और लगभग 75 फीसदी ने बूस्टर डोज़ भी ली है. लेकिन सिर्फ 18 फीसदी लोगों को ही ओमिक्रोन स्पेसिफिक वैक्सीन मिली है. इसके बावजूद वैक्सीन अब भी गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती से सुरक्षा देती है. सरकार की सलाह है कि सभी लोग अपने टीके अपडेट रखें, खासकर बुजुर्ग और जोखिम वाले लोग. 18 साल की उम्र पार कर चुके बच्चों को भी अब वैक्सीन दी जा रही है.

कोरोना और फ्लू में कैसे फर्क करें?

मानसून में सर्दी-जुकाम और फ्लू भी आम है, जिससे कोविड की पहचान मुश्किल हो जाती है. दोनों में बुखार, खांसी, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण होते हैं. लेकिन यदि गले में खराश, आवाज़ बैठना, डायरिया या बिना कारण की थकान हो तो कोविड की जांच करवाना सही रहेगा.

आपको क्या करना चाहिए?

कोविड अभी पूरी तरह गया नहीं है. नए वेरिएंट्स और नए लक्षणों के साथ यह फिर से दस्तक दे रहा है. डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना, समझदारी से काम लेना, और समय रहते टेस्ट कराना ही सबसे अच्छा उपाय है.

Share Now

\