COVID-19: चेन्नई में कोरोना से ठीक हो चुके 10 लोग फिर मिले पॉजिटिव
प्रतीकात्मक तस्वीर, (Photo Credit- Pixabay)

चेन्नई शहर के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में कम से कम 10 मरीज  रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कुछ दिनों या हफ्तों बाद ठीक हो जाते हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि ये रिलेप्स हैं या रिइन्फेक्शन है. प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या की कोई रजिस्ट्री नहीं है. संक्रामक रोग विशेषज्ञों और वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि कुछ लोगों में वायरस के लक्षण क्यों हैं, यह समझने के लिए राज्य को एक बड़ा जीनोम (Genome) अध्ययन करना चाहिए.

पिछले दो हफ्तों में अमेरिका और हांगकांग के वैज्ञानिकों ने कहा कि वे यह साबित करने के लिए परिष्कृत परीक्षण (Sophisticated Testing) का उपयोग करने में सक्षम थे कि उनके मरीज के संक्रमण के प्रत्येक उदाहरण से जुड़े वायरस आनुवांशिक (Genetically) रूप से विभिन्न उपभेदों (Different Strains) का प्रतिनिधित्व करते हैं. "कोविड लक्षणों के साथ रीडमीशन (Readmissions) रिइन्फेक्शन या एक रिलैप्स के कारण हो सकता है," ऐसा ओमेंदुरार मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर जयंती (Omandurar Medical College dean Dr R Jayanthi) ने कहा, जहां कम से कम दो बार रीडमीशन (Readmission) के मामले सामने आए थे. “हम अंतर को तभी जान पाएंगे जब हम जीन (Gene) को अलग कर देंगे और उसका विश्लेषण करेंगे. यदि जीन अलग-अलग हैं, तो यह एक संभावित रिइन्फेक्शन है. रेलैप्स का भी यही कारण है. 'डब्ल्यूएचओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने कहा कि वे विभिन्न देशों से उभरने वाले वैज्ञानिक पत्रों (Scientific Papers) का अध्ययन कर रहे हैं. यह भी पढें: COVID-19 Testing: कोरोना टेस्टिंग को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा फैसला, बिना डॉक्टर की पर्ची के अब कोई भी करा सकता है कोविड-19 की जांच

एग्मोर के हॉस्पिटल में पिछले एक महीने पहले दो डॉक्टर के पॉजिटिव परिक्षण के बाद एक महिला और बच्चे को फिर से एडमिट किया गया. उनमें से एक में कोविड -19 के अलावा डेंगू भी पाया गया. बॉडी पेन के साथ महिला में डेंगू के सभी लक्षण पाए गए. संस्था ने कहा हमें नहीं पता कि डेंगू का पॉजिटिव रिपोर्ट गलत था. लेकिन वह कोविड -19 के लक्षण दिखा रहा था. ऐसा संस्था के निर्देशक डॉ. ने विजया कहा.

महिला अब इस समय ओमांडुरार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज करा रही हैं. उसे अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है. मई के बाद पहली बार उनका परीक्षण किया गया था. उसमें रिस्क एक्सपोजर ज्यादा पाया गया. कुछ दिन बाद लक्षण गायब हो गए और टेस्ट भी नेगेटिव आया, ये बात किल्पौक मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के डीन डॉक्टर पी वसंतमणि (Kilpauk Medical College Hospital dean Dr P Vasanthamani) ने कहा.