Coronavirus: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम राहत कोष में देंगे पांच महीने की सैलरी, पत्नी और बेटियों ने भी दी सहायता

कोरोना से जंग के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपना पांच महीने का वेतन सीएम राहत कोष में देंगे. इसके साथ ही उनकी पत्नी सुनीता रावत ने भी सीएम राहत कोष को एक लाख रूपये की सहायता देंगी.

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Photo Credit-ANI)

Coronavirus: देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. उत्तराखंड में भी अब तक सात मामले सामने आ चुके हैं, इस बीच संदिग्धों को क्वॉरेंटाइन में रखा गया है. कोरोना से जंग के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) अपने पांच महीने की सैलरी  सीएम राहत कोष में देंगे. इसके साथ ही उनकी पत्नी सुनीता रावत ने भी सीएम राहत कोष को एक लाख रूपये की सहायता देंगी. सीएम रावत की दोनों बेटियां भी 52,000 की मदद देंगी. राज्य में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पूरी तरह जुटे हुए हैं. इससे पहले सीएम ने लॉकडाउन में सुबह के समय रोजाना दी जाने वाली छूट का समय बढ़ाने का फैसला किया जिसके सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं.

समय सीमा बढ़ाए जाने के बाद दुकानों में भीड़ कम दिख रही है. पहले यह समय सुबह 7 बजे से सुबह 10 बजे तक था. सरकार ने यह समय बढ़ाकर दोपहर 1 बजे तक का समय दिया है. इस बीच जनता अपने आवश्यक काम निपटाकर सीधे घर जा रहे हैं.

त्रिवेंद्र सिंह रावत देंगे पांच महीने की सैलरी-

इससे पहले सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 31 मार्च को लॉकडाउन में छूट का ऐलान किया था, जिससे राज्य में जिन लोगों को अपने गांव या किसी दूसरे स्थान जाना है वे जा सकें. लेकिन सीएम ने यह फैसला केंद्र सरकार की सख्ती के बाद वापिस ले लिया. सीएम ने कहा, राज्य में जो जहां हैं वहीं रहें, किसी को किसी भी प्रकार की परेशानी सरकार नहीं होने देगी.

राज्य में कोरोना वायरस के अब तक 9 केस सामने आए हैं जिनमें से 2 ठीक हो चुके हैं. कोरोना वायरस के केस सिर्फ राजधानी देहरादून से सामने आए हैं. इसके अलावा किसी अन्य जिले से कोरोना का कोई केस नहीं आया है. इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने चारों राजकीय मेडिकल कॉलेजों श्रीनगर, देहरादून, हल्द्वानी और अल्मोड़ा को कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए सुरक्षित कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग जरूरत पड़ने पर ही मरीजों को मेडिकल कॉलेजों से दूसरे अस्पतालों में भेजेगा.

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