Coronavirus lockdown: लॉकडाउन में नहीं बढ़े टमाटर, आलू, और प्याज के दाम, जानिए कैसे?
प्याज, टमाटर और आलू (Photo Credit- File Photo)
कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए जब लॉकडाउन (lockdown) की घोषणा की गई, तो देखते ही देखते घनी आबादी वाले इलाकों में किराने की दुकानें लगभग खाली हो गईं.  तमाम लोगों ने जरूरत के सामान का स्टॉक लगा लिया. आटा, चावल, चीनी, आदि का स्टॉक तो लगा सकते हैं, लेकिन सब्जी का नहीं. और इसीलिए लोग कयास लगाने लगे कि लॉकडाउन में सब्जियों के दाम आसमान छुएंगे.लेकिन कोरोना से जारी इस जंग के लिए बनाए गए अलग-अलग समूहों में एक समूह ऐसा है, जिसने लॉकडाउन के दौरान टमाटर, आलू, प्याज के दाम ऊपर नहीं जाने दिये.
लॉकडाउन की शुरुआत में देश के कुछ शहरों में सब्जियों के दाम ऊपर गए थे, लेकिन केंद्र सरकार व राज्‍य सरकारों की तत्परता के चलते व्‍यापारी अपनी मनमानी नहीं कर पाए.कई जिलों में पुलिस की मदद से जिला प्रशासन ने उन व्‍यापारियों की धरपकड़ की, जिन्‍होंने ऊंचे दामों पर सामान बेचने की कोशिश की. वहीं कोरोना की जंग में केंद्र सरकार के एम्‍पावर्ड ग्रुप-5 ने देश भर में सप्‍लाई चेन को कहीं भी टूटने नहीं दिया, जिसके फलस्‍वरूप टमाटर, प्‍याज और आलू के दाम लगभग स्थिर रहे.यही नहीं लॉकडाउन के दौरान दूध और रसोई गैस की सप्‍लाई भी निरंतर जारी रही. ठीक वैसे ही जैसे लॉकडाउन के पहले हो रही थी. यह भी पढ़े: Coronavirus Lockdown: दिल्ली में लॉकडाउन बना थोक विक्रेताओं के लिए परेशानी का सबब, गाजीपुर सब्जी मंडी में नहीं आ रहे ग्राहक
इस सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट के तहत केवल खेत से दुकान तक पहुंचने वाले सामान का ही ध्‍यान नहीं रखा गया, बल्कि उन लोगों की भी मदद की गई, जिनके पास खाने को भोजन नहीं था। लॉकडाउन के दौरान 1.5 करोड़ लोगों को पका हुआ भोजन वितरित किया गया. इस काम में सरकार का साथ कई एनजीओ और निजि कंपनियों ने भी दिया। यह कार्य अब भी जारी है। आपको बता दें कि 30 मार्च से लेकर 25 अप्रैल के बीच 84.3 लाख मीट्रिक टन अनाज जरूरतमंदों को वितरित किया गया, जिसमें 70 करोड़ लोग लाभान्वित हुए.
कैसे संभव हुआ यह सब? 
एम्‍पावर्ड ग्रुप-5 के कन्‍वीनर परमेश्‍वरन अय्यर ने स्वास्थ्‍य मंत्रालय की प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि लॉकडाउन में इस समूह ने सभी संबंधित विभागों के साथ निरंतर काम किया। खास बात यह है कि इसमें हर जगह यह भी सुनिश्चित किया गया कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन भी पूरी तरह से होता रहे। उन्‍होंने बताया कि इस समूह ने रेलवे, परिवहन, भारतीय वायुसेना, सड़क एवं परिवहन मंत्रालयों के साथ मिलकर काम किया.
परमेश्‍वरन अय्यर ने बताया कि 30 मार्च को ट्रकों के जरिए खाद्य पदार्थों व दवाईयों व चिकित्सा उपकरणों की सप्‍लाई 46 प्रतिशत तक हो गई थी, जो अब बढ़ कर 76 प्रतिशत हो गई है। रेलवे की माल गाड़‍ियों का मूवमेंट 67 प्रतिशत से बढ़ कर 76 प्रतिशत हो गया। पोर्ट बंदरगाहों पर ट्रैफिक 70 प्रतिशत से बढ़ कर 87 प्रतिशत हो गया.देश भर में मंडियों का संचालन 61 प्रतिशत से बढ़ कर 79 प्रतिशत हो गया है.
श्री अय्यर ने बताया कि सप्‍लाई चेन को तब और मजबूती मिली, जब हाईवे पर ट्रक रिपेयरिंग की दुकानें व ढाबों को खोलने की अनुमति दे दी गई। मंडियों में किसान अपने उत्पाद बेच पा रहे हैं। इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग व पैकेजिंग इकाईयों को अनुमति मिलने से भी बल मिला. यही नहीं हमने कृषि उत्पादों को बेचने वाले और खरीदने वाले राज्यों को भी एक पोर्टल के जरिए जोड़ने का काम किया। इससे जिन राज्यों में अगर कोई खाद्य उत्पाद अधिकता में है, तो वो आसानी से दूसरे राज्यों को बेच पा रहे हैं.