COVID-19: कोरोना वायरस मानवीय कोशिकाओं को संक्रमित करने में ज्यादा अनुकूल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

मेलबर्न, 25 जून : कोविड-19 (COVID-19) के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस को चमगादड़ों या पैंगोलिन की कोशिकाओं के बजाय मानवीय कोशिकाओं को संक्रमित करने में सबसे ज्यादा सहूलियत होती है . एक अध्ययन में यह दावा किया गया है जो वायरस की उत्पत्ति को लेकर सवाल खड़े करता है. आस्ट्रेलिया की फ्लाइंडर्स यूनिवर्सिटी और ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने वैश्विक महामारी की शुरुआत वाले सार्स-सीओवी-2 वायरस के रूप के उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर प्रतिरूपण का इस्तेमाल किया ताकि मनुष्यों को और 12 घरेलू एवं विदेशी जानवरों को संक्रमित करने की इसकी क्षमता का अनुमान लगाया जा सके. अध्ययन का मकसद किसी भी मध्यवर्ती पशु वायरस की पहचान करने में मदद करना है जिसने संभवत: चमगादड़ से वायरस को मनुष्यों में फैलाने में भूमिका निभाई .

अनुसंधानकर्ताओं ने 12 पशु प्रजातियों के जीनोमिक डेटा का प्रयोग कर प्रत्येक प्रजाति के लिए एसीई2 प्रोटीन रिस्पेटरों के कंप्यूटर प्रतिरूप बनाने के लिए अथक प्रयास किए. इन प्रतिरूपों का इस्तेमाल फिर प्रत्येक प्रजाति के एसीई2 (एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम) से सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के जुड़ने की शक्ति का हिसाब लगाया गया. एसीई2 (कोशिकाओं के सतह पर मौजूद प्रोटीन) सार्स-सीओवी-2 के लिए रिसेप्टर का काम करता है और इसे कोशिकाओं को संक्रमित करने देता है. परिणाम दर्शाता है कि सार्स-सीओवी-2 चमगादड़ एवं पैंगोलिन समेत किसी भी जांची गई पशु प्रजातियों की तुलना में मानवीय कोशिकाओं में एसीई2 से ज्यादा कसकर जुड़ता है. यह भी पढ़ें : Madhya Pradesh: इंदौर में 12 वर्षीय दिव्यांग बच्ची ने कोरोना को दी मात, देखें तस्वीर

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि अगर जांची गई किसी भी पशु प्रजाति से इस वायरस की उत्पत्ति हुई होती तो सामान्य तौर पर उसमें वायरस के ज्यादा कसकर बंधने की क्षमता दिखनी चाहिए थी. ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, डेविड विंकलर ने कहा, “मानवों में स्पाइक से जुड़ाव सबसे मजबूत दिखा जो बहुत चौंकाने वाला है क्योंकि अगर मनुष्यों में संक्रमण का शुरुआती स्रोत जानवर था तो यह उनमें अधिक दिखना चाहिए था.” अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि यह उस तर्क के खिलाफ है कि मनुष्यों में वायरस सीधे चमगादड़ से फैला है. फ्लाइंडर्स यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक निकोलई पेत्रोवस्की ने कहा, “अगर वायरस का कोई प्राकृतिक स्रोत है तो मनुष्यों में यह सिर्फ किसी मध्यवर्ती प्रजाति के जरिए आया होगा जिसको खोजना अब भी बाकी है.” यह अध्ययन ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ पत्रिका में बृहस्पतिवार को प्रकाशित हुआ है